सिटी के कांके रोड स्थित जवाहर नगर की रहने वाली हर्षिका सिंह ने अपने मां-बाप को दी है हर्ष की सौगात. उन्होंने अपने पिता अनिल सिंह व मां रेखा सिंह को उनकी अफसर बिटिया बनकर दिखा दिया. जी हां फ्राइडे को जारी हुआ यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम 2011 का रिजल्ट हर्षिका और उनकी फैमिली के लिए बहुत बड़ी गुड न्यूज लेकर आया. गुड न्यूज यह कि हर्षिका अब आईएएस बन गई हैं. उन्होंने इस एग्जाम में पूरे इंडिया में 8वां रैंक हासिल किया है.


अरे यार, बकवास मत करोहर्षिका अपने सेलेक्शन पर खुशी जताते हुए बताती हैं- फ्राइडे को दिन के करीब 11 बजे मेरी फ्रेंड श्रद्धा की पहली कॉल आई। उसने कहा तुम्हारा सेलेक्शन यूपीएससी के सिविल सर्विसेज में हो गया है और तुम्हारा पूरे इंडिया मे 8वां रैंक है। मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने उससे कहा- अरे यार अभी बकवास मत करो, यह सीरियस मामला है। मैंने उससे दो-तीन बार पूछा कि मुझे सच-सच बताओ, मजाक मत करो और उसने बार-बार मुझसे यही कहा कि मैं अब आईएएस बन गई हूं। इसके बाद बाकी लोगों की भी कॉल्स आने लगीं और इंटरनेट पर जाकर कन्फर्म किया, तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं वाकई आईएएस बन गई और मुझे देशभर में 8वां रैंक मिला है।मुझे  attract करती थी लाल बत्ती वाली गाड़ी


हर्षिका कहती हैं- मैं जब नामकुम के बिशप स्कूल में पढ़ती थी, तब स्कूल में कोई लाल या पीली बत्ती लगी हुई गाड़ी देखती थी, तो वो मुझे बहुत अट्रैक्ट करती थी। जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, तो मुझे समझ में आने लगा कि यह लाल और पीली बत्ती लगी गाड़ी आईएएस बनने पर मिलती है। तभी मैंने सोच लिया था कि मुझे आईएएस बनना है और आज मैं  आईएएस बन गई।

सोचा IPS तो बन ही जाऊंगीहर्षिका बताती हैं- हमारा इंटरव्यू 30 मार्च को विजय कुमार सिंह एक्स डिफेंस सेक्रेट्री के ग्रुप में हुआ था। मेन्स एग्जाम और इंटरव्यू के बाद मुझे लग रहा था कि मेरा आईपीएस में सेलेक्शन तो हो ही जाएगा, लेकिन जब रिजल्ट आया और पता चला कि मेरा सेलेक्शन अंडर 10 में हो गया है, तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि अंडर 10 में मेरा सेलेक्शन हो जाएगा।First attempt में 638वां rankयूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम में हर्षिका का यह दूसरा अटेम्प्ट था। उन्होंने बताया कि फस्र्ट अटेम्प्ट में उन्होंने 638वां रैंक हासिल किया था। वह कहती हैं- तब मुझे विश्वास था कि मैं इससे अच्छा रैंक ला सकती हूं, इसलिए मैंने ज्वॉइन नहीं किया। फस्र्ट अटेम्प्ट में अपनी कमजोरियों को मैंने समझा और दोबारा ट्राई किया, जिसमें मैंने 8वां रैंक हासिल कर लिया।झारखंड में काम करने की चाहत

यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम 2011 में देशभर में 8वां रैंक हासिल करने वाली सिटी की हर्षिका झारखंड में ही काम करना चाहती हैं। उन्होंने झारखंड कैडर को ही फस्र्ट प्रायरिटी दी है। उनकी दूसरी प्रायरिटी में है बिहार कैडर। हालांकि हर्षिका को उम्मीद है कि उन्हें झारखंड कैडर मिल जाएगा। बतौर आईएएस हर्षिका महिलाओं से रिलेटेड इश्यूज और इकोनॉमिक पॉलिसी पर काम करना चाहती हैं।London returned Harshikaहर्षिका ने पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमी से एमएससी किया और उसके बाद साल 2009 में रांची लौट आईं। यहां लौटने के बाद वह यूपीएससी सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन में जुट गईं। उन्होंने इसके लिए इकोनॉमिक्स और एन्थ्रोपोलॉजी सब्जेक्ट चुना था। हर रोज वह 10 घंटे तक पढ़ाई करती थीं।Mummy से Anthro पढ़ीहर्षिका कहती हैं- मेरा एक पेपर एन्थ्रोपॉलोजी था। इसके लिए मैंने मम्मी से हेल्प ली। मम्मी एन्थ्रोपोलॉजी में एमएससी हैं। रांची यूनिवर्सिटी के एन्थ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट से भी हेल्प मिली। इसके अलावा इकोनॉमिक्स शुरू से ही मेरा फेवरेट सब्जेक्ट रहा है, इसलिए मैंने सेकेंड पेपर के तौर पर  इकोनॉमिक्स को सेलेक्ट किया था।पापा आईसक्रीम खिलाते थेहर्षिका कहती हैं- मेरे पापा मेरे फ्रेंड की तरह हैं। लंदन से लौटने के बाद जब मैं सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन करने लगी, तो मेरे पापा ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। जब मैं दिनभर पढ़ाई करती थी, तो पापा शाम में मुझे हमेशा आईसक्रीम खिलाने ले जाया करते थे। इस सक्सेस को पाने में मुझे मेरी फैमिली का बहुत सपोर्ट मिला।

Posted By: Inextlive