- महज छह साल में ही बिगड़ने लगी हजरतगंज की सूरत

- 24 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था हजरतगंज का सौंदर्यीकरण

- कई victorial lamp और bench टूटे, कूड़ेदान भी क्षतिग्रस्त

- नाली पिट और वॉटर हाइड्रेंट नॉजिल हुई चोरी

LUCKNOW: वर्ष 2010 में मायावती सरकार ने हजरतगंज के 200 साल पूरे होने पर 24 करोड़ की लागत से बाजार की सूरत बदल दी। मुगलकालीन फव्वारे, विक्टोरियन लैंप, एथेनिक लुक वाली आकर्षक बेंच और पूरी मार्केट गुलाबी और आइवरी कलर में रंगी हुई। इतना ही नहीं, मार्केट की दुकानों और ऑफिसेस के साइनबोर्ड का रंग भी काला-सफेद तय कर दिया गया था। 26 दिसंबर 2010 को हजरतगंज के सौंदर्यीकरण का काम पूरा भी हो गया। काम पूरा होने के बाद हजरतगंज का लुक ठीक वैसा ही हो गया, जैसे वह अपनी शुरुआत में था। इस बदलाव का लखनवाइट्स ने खुले दिल से स्वागत किया। नतीजतन, अवध की मशहूर शाम और गंजिंग का लुत्फ लेने के लिये लोग गंज में उमड़ने भी लगे। आई नेक्स्ट टीम ने बुधवार को हजरतगंज की बदहाली अपनी आंखों से देखी, पेश है विशेष रिपोर्ट।

नाली पिट की जगह बचे गड्ढे

हजरतगंज में जल निकासी के लिये रोड के दोनों ओर नालियों को पत्थर से ढककर अंडरग्राउंड कर दिया गया। नालियों की सफाई के लिये कुछ-कुछ दूरी पर नाली पिट (लोहे की जाली) लगाई गई। मकसद था कि नालियां गंदी होने पर इन नाली पिट को खोलकर सफाई की जा सकेगी। पर, चोरों ने एक-एक कर पूरी मार्केट में लगी नाली पिट चोरी कर लीं। अब आलम यह है कि नाली पिट की जगह पर सिर्फ खुले गड्ढे बचे हैं और यह गड्ढे हजरतगंज की खूबसूरती पर बदनुमा दाग लगा रहे हैं।

गल चुकी हैं बेंच

गंजिंग के दौरान दोस्तों के साथ बैठकर गपशप करने के लिये दोनों ओर की फुटपाथ पर एथनिक लुक वाली बेंच लगाई गई थीं। आकर्षक डिजाइन की लोहे की इन बेंचों लोगों को खूब पसंद आई और गंजिंग करने आने वाले लोगों ने इन बेंच का लुत्फ भी उठाया। पर, देखरेख के अभाव में इन बेचों का भी हाल बेहाल हो गया। कुछ बेंच तो बेस से टूट गई तो कुछ पेंट और रखरखाव के अभाव में गल गई हैं।

पीक ने किया दीवारों को बदरंग

अवध की शाम और अवध का पान दोनों ही मशहूर हैं, लेकिन पान के शौकीनों ने अवध की पहचान हजरतगंज को ही बदरंग करना शुरू कर दिया। गुलाबी और आइवरी कलर से पोती गई हजरतगंज की दीवारों को पान की पीक से बदरंग करना शुरू कर दिया। पान के शौकीनों की यह आदत अब हजरतगंज की शान पर बट्टा लगाती मालूम पड़ रही है। आलम यह है कि जगह-जगह पान की पीक से दीवारों पर लाल रंग के दाग बन गए हैं।

जनपथ हुआ अनपथ

बदहाली का आलम हजरतगंज में लगे साइनबोर्ड पर भी दिख रहा है। जनपथ मार्केट की इंट्री पर अंग्रेजी में लगे साइन बोर्ड में जनपथ मार्केट का जे अक्षर करीब तीन महीने पहले गिर गया। जिससे जनपथ मार्केट बोर्ड में अनपथ मार्केट प्रतीत हो रहा है। लेकिन न तो एलडीए ने इस बोर्ड को सुधरवाने की जरूरत समझी और न ही नगर निगम ने। नतीजतन साइन बोर्ड में अर्थ का अनर्थ हो रहा है, लेकिन इसकी चिंता किसी भी ऑफिसर को नहीं है।

बचा सिर्फ डस्टबिन का ढांचा

साफ-सफाई रखने के लिये कुछ-कुछ दूरी पर डस्टबिन लगाए गए थे। बेहद कलात्मक ढांचे के भीतर लगे प्लास्टिक के डस्टबिन काफी समय पहले ही टूट गए। लेकिन, इन्हें बदला नहीं गया। नतीजतन, मार्केट में जगह-जगह कूड़ा खुले में ही ढेर किया जाता है। यह कूड़ा नाली पिट के रास्ते नाली में भी जाता है, जिससे नालियां चोक हो रही हैं और जरा सी बारिश में ही हजरतगंज जलमग्न हो जाता है।

आयरन पोल भी टूटे

सौंदर्यीकरण के लिये जगह-जगह मुगलकालीन लुक वाले फव्वारे लगवाए गए थे। इन फव्वारों को आयरन पोल और जंजीरों से घेरा गया था। पर, देखरेख के अभाव में यह आयन पोल टूट गए और टूटकर जमींदोज होने की कगार पर हैं। ऐसे में फव्वारों की खूबसूरती पर दाग लग रहा है। इसके अलावा कई जगह फुटपाथ पर लगे पत्थर भी उखड़ने चुके हैं। लेकिन, इस ओर भी देखने की कोई जहमत नहीं उठा रहा है।

नहीं बुझ सकेगी आग

हजरतगंज में आग लगने की सूरत में बिना फायर टेंडर आग बुझाने के लिये जगह-जगह वाटर हाइड्रेंट लगाए गए थे। इन हाइड्रेंट में पीतल की नॉजिल लगाई गई थीं। इन्हीं नॉजिल में पाइप लगाकर आग बुझाने की योजना थी। पर, पीतल की इन नाजिल पर भी चोरों की नजर पड़ गई और एक-एक कर सभी नॉजिल चोरी हो गई। बेखौफ चोरों की हिम्मत इतनी कि मल्टीलेवल पार्किंग की इंट्री गेट पर बनी उत्तरी पुलिस चौकी के सामने लगे वॉटर हाइड्रेंट की नॉजिल पर भी चोरों ने हाथ साफ कर दिया।

हजरतगंज लखनऊ की पहचान है, करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद हजरतगंज फिर से चमकने लगा था, लेकिन फिर से इसकी बदहाली चिंता की बात है।

- निशांत

गंजिंग पर तो जिला प्रशासन लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन गंज की सूरत बदहाल हो रही है। इस ओर भी सोचने की जरूरत है।

- हर्ष

पब्लिक को भी हजरतगंज की सफाई व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिये। लोग जगह-जगह कूड़ा फेंकते हैं और पान थूकते हैं। इससे हमारी छवि को बट्टा लगता है।

- बाबू

जिला प्रशासन व नगर निगम को हजरतगंज की देखरेख करने के लिये अलग से टीम बनानी होगी तभी इसका स्वरूप बच सकेगा।

- दीपेंद्र

Posted By: Inextlive