पूरी दुनिया में बजेगा एचबीटीयू के रिसर्च का डंका
-एक्ट पास होने के बाद अब एचबीटीयू के नाम से जानी जाएगी एचबीटीआई
- 2017 के सेशन से यूनिवर्सिटी कराएगी अपना एंट्रेंस, -नए कोर्सेस और सिलेबस चेंज करने का रास्ता साफ, रिसर्च वर्क पर होगा फोकस KANPUR: आखिरकार सौ साल पुराने टेक्निकल इंस्टीट्यूट एचबीटीआई ने शनिवार को यूनिवर्सिटी का रूप ले लिया। एचबीटीआई को एचबीटीयू बनाने के लिए असेंबली में एक्ट पास कर दिया गया। अब एचबीटीआई का नाम हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी हो गया है। अगले साल से एचबीटीयू अपना एंट्रेस टेस्ट कराएगी। सिलेबस भी अपडेट किया जाएगा। एचबीटीआई को यूनिवर्सिटी बनाने के लिए कल्याणपुर के विधायक सतीश निगम ने भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। पूर्व प्रिंसिपल सेकेट्री मोनिका एस गर्ग ने भी इस दिशा में काफी काम किया था। नॉन एफिलेटिंग यूनिवर्सिटी बनीएचबीटीआई के एक्टिंग डायरेक्टर प्रो। डीबी शाक्यवार ने बताया कि एक साल से संस्थान को यूनिवर्सिटी बनाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा था। खास बात यह है कि एचबीटीयू नॉन एफिलेटिंग रेजीडेंशियल यूनिवर्सिटी बनी है। एचबीटीयू में वर्ल्ड क्लास रिसर्च वर्क कराने की तैयारी शासन स्तर पर की जा रही है। दुनिया भर में जहां आईआईटी कानपुर का डंका बज रहा है वहीं अब एचबीटीयू में भी पीजी स्टूडेंट्स अपने रिसर्च वर्क पूरी दुनिया का ध्यान खींचेंगे। अलावा पीएचडी में स्टूडेंट्स की संख्या भी बढ़ाइर्1 जाएगी।
14 महीने की मेहनत रंग लाई पूर्व डायरेक्टर प्रो। एके नागपाल ने बताया कि पहले साल करीब 75 करोड़ रुपए मिलेंगे, जिसमें राष्ट्रीय उच्चतर शैक्षिक आयोग (रूसा) के 55 करोड़ रुपए शामिल हैं। यूनिवर्सिटी का ज्यादातर हिस्सा अब वेस्ट कैंपस हॉस्टल में बनाया जाएगा। जहां पर भव्य आडिटोरियम और स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव भी पास हो चुका है। प्रो। नागपाल के बाद प्रो। अशोक कुमार ने भी इस दिशा में काफी प्रयास किए हैं। बॉक्स छात्र की एक मेल से बना एचबीटीयू एचबीटीआई के पूर्व एमटेक छात्र अंकित शुक्ला ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव को मेल किया था। ये मेल अंकित ने पं। मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज गोरखपुर के टेक्निकल यूनिवर्सिटी बना दिए जाने के बाद की थी। इस मेल को संज्ञान में लेकर सीएम ने एचबीटीआई को यूनिवर्सिटी बनाने के संबंध में टेक्निकल एजूकेशन डिपार्टमेंट को डायरेक्शन दिए थे। यूपीटीयू के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने वही मेल एचबीटीआई को फॉरवर्ड की थी। जिसके बाद एचबीटीआई को यूनिवर्सिटी बनाने की कवायद शुरू की गई थी।