डेविड कोलमेन हेडली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुंबई कोर्ट को बयान देते हुए कई अहम् राजों से पर्दा उठाया और पहली बार जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की तस्‍वीर अदालत में पहचानते हुए कहा कि वो उसके निर्देशों पर लश्‍कर ए तैयबा के लिए काम करता था उसी के इशारे पर मुंबई पर आतंकी हमला हुआ।


हाफिज सईद को पहचाना


मुंबई हमलों के मामले में लश्कर आतंकी डेविड हेडली ने अदालत को वो तमाम बातें बतायीं जो न सिर्फ हैरान करने वाली हैं बल्कि पाकिस्तान की मदद से किस तरह से लश्कर ने मुंबई को दहलाया उसकी जानकारी सामने आ रही है। अदालत में गवाही के दौरान हेडली ने साफ तौर पर कहा कि लश्कर मुखिया हाफिज सईद के इशारे पर मुंबई हमलों को अंजाम दिया गया। वो हर पल एक एक घटनाक्रम की जानकारी ले रहा था। वो हाफिज सईद से प्रभावित हो कर लश्कर में शामिल हुआ था। हाफिज की अगुवाई में भारत पर आतंकी हमले की पुख्ता साजिश रची गयी थी। २००२ में पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में लश्कर में शामिल हुआ था और आतंक का पहला पाठ सीखा था। मैं पाकिस्तान के अलग अलग इलाकों में पांच से छह आतंकी कैंपों में शामिल हुआ। उन कैंपों में मैं दौरा-ए- सुफा, दौरा-ए-आम,दौरा-ए-खास और दौरा-ए-रिबात के प्रमुखों से मिला। इन कैंपों में मैं हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी से मिला जो धार्मिक तकरीरें किया करते थे। सईद और लखवी कहा करते थे कि भारत इस्लाम का दुश्मन है।कश्मीर में लड़ने की ख्वाहिश

मैं कश्मीर जाकर भारतीय फौज के साथ लड़ना चाहता था लेकिन लखवी ने कहा कि तुम्हारी उम्र बहुत ज्यादा है तुम इस तरह का काम नहीं कर सकते हो। तुम्हे किसी बड़े मकसद के लिए काम करना है। सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने जब पूछा कि तुम्हारी नजर में जिहाद का मतलब क्या है तो हेडली ने कहा कि इस्लाम के दुश्मनों के साथ लड़ाई लड़ना उसकी नजर में जिहाद है।पूछे गए 50 सवाल

अदालत ने हेडली से करीब 50 सवाल पूछे जिसका उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जवाब दिया। हेडली ने बताया कि उसे लश्कर के एक कमांडर साजिद मीर ने भारतीय पासपोर्ट मुहैया कराया था। डॉ तहव्वुर हुसैन राणा ने भी भारतीय पासपोर्ट मिलने में मदद की थी। राणा और मैं दोनों लोग करीब पांच साल तक एक साथ पढ़े थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद वो रावलपिंडी के एक अस्पताल में डॉक्टर हो गए। डॉ राणा से मेरी मुलाकात पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक मिलिट्री स्कूल में हुई थी। मुझे और रिटायर्ड मेजर अब्दुर रहमान पाशा को पाक-अफगानिस्तान सीमा के पास लंडी कोट ल इलाके में गिरफ्तार किया गया था। मेरी गिरफ्तारी महज इस लिए हुई कि मेरी शक्ल विदेशियों की तरह थी। गिरफ्तारी के बाद मुझसे मेजर अली ने पूछताछ की उस दौरान मेरे पास भारतीय साहित्य की कुछ किताबें थीं। पूछताछ के दौरान मैंने मेजर अली को बताया कि मैं भारत में व्यापार करता हूं। उन्हें लगा कि वो भारत के बारे में कुछ खुफिया जानकारियां दे सकता है। मेजर अली ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के मेजर इकबाल से मेरा परिचय कराया। मेरे पास भारतीय पासपोर्ट देखकर मेजर इकबाल और साजिद मीर दोनों खुश हुए। साजिद मीर ही मुझे भारतीय पासपोर्ट हासिल करने में मदद कर रहा था। साजिद मीर मुझसे संपर्क बनाए रखने के लिए chalchalo@yahoo.com पर संपर्क किया करता था।हाफिज के भाषणों से प्रभावित था अदालत को दी गयी गवाही में डेविड हेडली ने कहा कि वो हाफिज सईद के भाषणों से प्रभावित था। उसे लगता था कि वो काफिरों से बदला लेने के लिए नेक काम में जुड़ रहा है। वो कश्मीर में भारतीय फौज द्वारा शिकार हुए कश्मीरियों की लड़ाई लड़ रहा है। वो भारत से बदला लेकर इस्लाम के काम को आगे बढ़ा रहा है।मुंबई पर हमले की तीन कोशिश
सितंबर 2008 में भारत पर हमले की पहली साजिश रची गयी। लेकिन अरब सागर में चट्टान से टकराने के बाद नाव दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। सारे हथियार बर्बाद हो गए। लेकिन नाव पर सवार लोगों को बच गए थे। दूसरी बार हमला करने की कोशिश 26/11 से ठीक पहले करने की हुई थी। तीसरी कोशिश में भारत पर हमला कामयाब हुआ। वो सात बार पाकिस्तान से और एक बार यूएई से सीधे भारत आया था।हेडली के आठ जवाब 1. 2006 में भारत में व्यापार करने के लिए अपने नाम को दाउद गिलानी से डेविड कोलमैन हेडली कर लिया।2. मेरे वीजा आवेदन में बर्थ डेट, मां का नाम नागरिकता और पासपोर्ट नंबर को छोड़कर सभी जानकारियां गलत थीं3. मुंबई हमलों के बाद 7 मार्च 2009 को मैंने लाहौर से भारत की यात्रा की।4. वो लश्कर के आतंकी साजिद मीर से सीधे संपर्क में था। साजिद मीर ने मुझे मुंबई शहर के सभी महत्वपूर्ण जगहों की वीडियो भेजने को कहा था। मैं जब पहली दफा भारत आया तो साजिद मीर ने अपने इरादे को बताया। उसने मुझे भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भारत में किसी भी तरह के व्यापार को सेट अप करने की बात कही।5. नए पासपोर्ट के जारी होने के बाद वो आठ बार भारत आया था जिसमें सात बार उसने मुंबई की यात्रा की थी।6. मैं भारत आने के लिए अपने नाम को बदला मैं भारत अमेरिकी नाम पर आना चाहता था।
7. मैं लश्कर के साथ दिल से जुड़ा हुआ था।8. जब मैंने अपने नाम को बदल लिया को लश्कर के साजिद मीर को जानकारी दी।अदालत में हेडली से करीब पचास सवाल पूछे गये। ये पहला मौका है कि जब विदेशी जेल में बंद किसी आतंकी की भारतीय अदालत में पेशी हो रही है।मंगलवार को भी जारी रहेगी गवाहीहेडली मंगलवार को भी सुबह 7 बजे से दोपहर 12.30 बजे के बीच गवाही देगा। कोर्ट की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए सरकारी वकील उज्जवल निकम कोर्ट में मौजूद हैं। हेडली को आतंक और दहशत गर्दी के मामले में अमेरिकी कोर्ट ने 35 साल की सजा सुनाई है। भारत को बीते दिनों उससे पूछताछ की इजाजत मिली थी। इससे हमले के संदर्भ में और खुलासे होने की संभावना है। कोर्ट में इस मामले में षड्यंत्र रचने वाले सैयद जबीउद्दी अंसारी उर्फ अबु जुंदाल के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास में पहली बार विदेशी आतंकी भारतीय कोर्ट के सामने होगा और गवाही देगा। निकम ने कहा कि 26/11 हमले के मामले में और खुलासे करने के लिए हेडली की गवाही बयान महत्वपूर्ण है। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि हेडली कई लोगों के नाम बताकर आपराधिक षड्यंत्र को और विशद कर सकता है।कर सकता है पाकिस्तान की भूमिका का खुलासावह पाकिस्तान की भूमिका का भी खुलासा कर सकता है। कोर्ट ने 10 दिसंबर 2015 को हेडली को वादा माफ गवाह बनाया था और कोर्ट में 8 फरवरी को बयान दर्ज कराने का आदेश दिया था। हेडली ने जज जीए सनप से कहा था कि यदि उसे वादा माफ गवाह बनाया जाता है तो वह कोर्ट में बयान देने को तैयार है। जज ने कुछ शर्तों के साथ उसे माफी दे दी थी।

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Posted By: Molly Seth