- कैंसर पर दो दिनों का वर्कशॉप होटल चाणक्या में शुरू

-हर दो सेकेंड में स्कूली बच्चे टोबैको यूज से जुड़ रहे हैं

- अर्ली डिटेक्टशन के बिना सुधार नहीं

- तंबाकू नहीं तो पांच लाख कैंसर पेशेंट होंगे कम

-नॉन हार्ट डिजीजेज में नंबर वन हो सकता है कैंसर

PATNA : कैंसर एक अभिशाप है जिससे मानसिक और आर्थिक कष्ट भी सहना पड़ता है। इसलिए हर प्रकार के नशा के उत्पादों पर भारी टैक्स लगाया जाना चाहिए। इसमें सिगरेट, बिड़ी, पान, गुटका-सभी शामिल है। इससे जहां एक ओर इसकी खपत कम होगी वहीं दूसरी ओर जो इस भयंकर डिजीज से पीडि़त पेशेंट के लिए मशीनरी और मेडिसीन एवलेबल कराने में सहूलियत होगी। यह बात स्टेट हेल्थ मिनिस्टर रामधनी सिंह ने इस्ट आंकोलॉजी ग्रुप के सेकेंड एनुअल काफ्रेंस के दौरान होटल चाणक्या में कही।

नवजात बच्चों को भी बचाने की जरूरत

इस बारे में स्टेट हेल्थ मिनिस्टर ने आजकल के सिनारियो का जिक्र करते हुए कहा कि नवजात बच्चों में भी इस प्रकार का केस देखा जा रहा है। यह चिंताजनक है। मैं डॉक्टरों से अपील करता हूं कि इस बारे में प्रेगनेंट लेडी के बीच इस बात की जानकारी दें कि प्रेगनेंसी के दौरान वे अपने आपको किस प्रकार से फिट रखें कि न्यू बार्न बेबी को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की तकलीफ सहना नहीं पड़े।

नॉन हॉर्ट डिजीजेज में कैंसर नंबर वन

वर्कशॉप के एनागरल सेशन के दौरान उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी, देहरादून के वाइस चांसलर डॉ एमसी पंत ने कहा कि फिलहाल हार्ट डिजीजेज की समस्या विकराल है। लेकिन कैंसर के केसेज जिस रफ्तार से बढ़ रहें हैं उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह नॉन हार्ट डिजीजेज में नंबर वन हो सकता है। आने वाले समय में कैंसर के बचाव पर ध्यान नहीं दिया गया तो कैंसर नॉन हार्ट डिजीज में नंबर वन किलर बन सकता है।

पांच लाख पेशेंट कम हो सकते हैं अगर

महावीर कैंसर संस्थान के डायरेक्टर डॉ जेके सिंह ने कहा कि कैंसर के बढ़ते केसेज पर काबू पाने के लिए प्रिवेंशन और अवेयरनेस का बड़ा रोल हो सकता है। इससे कैंसर के पेशेंट की संख्या में कमी लायी जा सकती है। अगर टूबैको प्रोडक्ट का यूज बंद हो तो हर साल कम से कम पांच लाख पेशेंट कम हो सकते हैं। एक बड़ी परेशानी यह भी है कि जिनका ट्रीटमेंट होना है वे लेट से आते हैं। ऐसे में ऐसे पेशेंट की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। डेवलप कंट्री में स्क्रीनिंग के कारण इसकी संख्या में बहुत कमी आयी है लेकिन डेवलपिंग कंट्री जैसे इंडिया में इसके केसेज लगातार बढ़ रहें हैं।

स्कूल स्तर पर भी हो अवेयरनेस

इस बारे में डॉ जेके ंिसह ने हेल्थ मिनिस्टर से मांग की कि कैंसर अवेयरनेस का एक कॉरीकुलम बनाकर स्कूल के बच्चों के लिए कोर्स में शामिल किया जाए। इससे वे समझ सकेंगे कि क्या करना है और क्या नहीं जिससे कैंसर से बचा जा सके। यह चिंताजनक है कि हर दो सेकेंड में क्म् से ख्ख् साल के यूथ में 90 परसेंट टूबैको यूजर बनते जा रहे है। यह एक खतरनाक ट्रेंड है।

Posted By: Inextlive