केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर एमबीबीएस बीडीएस व मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा नीट को बनाए रखने का समर्थन किया है. बीते 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद एमसीआइ को यह परीक्षा कराने का कानूनी अधिकार ही नहीं है.


केंद्र दायर करेगी पुनरीक्षण याचिकाकेंद्र ने शीर्ष अदालत के इस फैसले पर पुनरीक्षण याचिका दायर करने का मन बनाया है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता केंद्र सरकार द्वारा पुनरीक्षण याचिका दायर करने के फैसले का विरोध कर रही हैं. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा था, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री आजाद ने भी पीएम को पत्र लिखकर संयुक्त प्रवेश परीक्षा को बनाए रखने को न्यायोचित बताया. आजाद ने दलील दी कि संयुक्त प्रवेश निरस्त होने से छात्रों को पहले की ही तरह मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अलग-अलग परीक्षाएं देनी होंगी जिससे उनके अभिभावकों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा.

Posted By: Satyendra Kumar Singh