राजस्थान के कोटा में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत मामले में आज केंद्र सरकार के विशेषज्ञों की एक टीम दाैरे पर जाएगी। केंद्रीय मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने राजस्थान सरकार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

कानपुर। राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में बीते 1 महीने में करीब 103 बच्चों की मौत का मामला इन दिनों पूरे देश में चर्चा में है। एक माह के दौरान सौ से अधिक बच्चों की मौत को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार चाैतरफा घिर गई है। दूरदर्शन के एक ट्वीट के अनुसार जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत मामले में केंद्र सरकार के विशेषज्ञों का एक उच्च स्तरीय दल आज राजस्थान का दौरा करेगा। वहीं केंद्रीय मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्धन ने राजस्थान सरकार को हर संभव मदद का दिया भरोसा दिया है।

#Kota के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत मामले में केंद्र सरकार के विशेषज्ञों का एक उच्च स्तरीय दल आज करेगा राजस्थान का दौरा, केंद्रीय मंत्री @drharshvardhan ने राजस्थान सरकार को हर संभव मदद का दिया भरोसा pic.twitter.com/aTt01ENB4V

— दूरदर्शन न्यूज़ (@DDNewsHindi) January 3, 2020


एक मल्टी डिसपेंसरी एक्सपर्ट टीम कोटा भेजी जा रही

न्यूज एजेंसी एनआई के मुताबिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कल कहा कि शीर्ष बाल रोग विशेषज्ञों की एक मल्टी डिसप्लीनरी एक्सपर्ट टीम कोटा भेजी जा रही है। 103 मौतों के कारणों का पता लगाया जा रहा है। हर्षवर्धन ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने राजस्थान सीएम अशोक गहलोत से बात की थी और उन्हें बच्चों की अधिक मौतों को रोकने के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भेजी जा रही उच्च स्तरीय टीम में एम्स जोधपुर, स्वास्थ्य वित्त और क्षेत्रीय निदेशक, स्वास्थ्य सेवा जयपुर के विशेषज्ञ शामिल हैं।

नए साल के पहले दो दिनों में तीन और बच्चों की माैत

राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में नए साल के पहले दो दिनों में तीन और बच्चों की मौत हो गई, जो पिछले 30 दिनों में 103 हो गए। इलाज के दौरान तीनों बच्चों की मौत हो गई। इसमें एक को भारी वजन घटाने के कारण यहां भर्ती कराया गया था, अन्य दो को दूसरे अस्पताल से स्थानांतरित कर दिया गया था। 23 दिसंबर और 24 दिसंबर को इस मामले की जांच के लिए डॉक्टरों की तीन सदस्यीय राज्य सरकार कमेटी भेजी गई थी। कमेटी ने पाया कि अस्पताल में बेड की कमी है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

Posted By: Shweta Mishra