- भारी-भरकम स्कूल बैग के बोझ से बच्चे हो रहे बीमार, वेट से दब जा रहा शारीरिक विकास

- मंडलीय और दीनदयाल अस्पताल की ओपीडी में आ रहे ऐसे ढेरों केस

यह भारी स्कूली बैग उठाने का असर है कि मासूम बच्चों को कमर दर्द, कंधे और सीने में दर्द आम हो गया है। बच्चों के हैवी स्कूल बैग की वजह से उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं। उनके उठने-बैठने से लेकर चलने-फिरने का ढंग भी प्रभावित हो रहा है। बैग के बोझ के कारण बच्चों को स्पॉनडिलाइटिस, झुकी हुई कमर और पोस्चर की समस्या परेशान कर रही है। दीनदयाल और मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा की पीडियाट्रिक ओपीडी में ऐसे बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।

कमर दर्द की शिकायत अधिक

स्कूल जाने वाले लगभग 30 प्रतिशत बच्चों को कमर दर्द की शिकायत है। बच्चों में पोस्चर संबंधी प्रॉब्लम अधिक है। इस वजह से वे झुककर बैठते हैं और उनका पोस्चर खराब हो जाता है। एक्सपर्ट डॉक्टर्स का कहना है कि अगर बच्चे नियमित रूप से अपने वजन का 10 प्रतिशत से अधिक बोझ कंधे पर उठाएंगे, तो इससे उनको काफी नुकसान हो सकता है। भारी बैग उठाने का बच्चों पर भावनात्माक प्रभाव भी पड़ता है।

ये हैं प्रमुख समस्याएं

-कमर, गर्दन और कंधों में दर्द

-हाथों में झुनझुनी आना, सुन्न हो जाना और कमजोरी आना

-थकान व गलत पोस्चर विकसित होना

-गर्दन और कंधों में तनाव के कारण सिरदर्द होना

-स्पाइन का क्षतिग्रस्त हो जाना -स्कोलियोसिस यानी स्पाइन का एक ओर झुक जाना

-फेफड़ों पर दबाव आने के कारण सांस लेने की क्षमता कम हो जाना

बचाव के उपाय

-बच्चे के लिए ऐसे स्कूल बैग खरीदें, जिसके शोल्डर स्ट्रैप्स पैड वाले हों, इससे गर्दन और कंधों के क्षेत्र पर दबाव कम पड़ता है। बैग को लटकाने के बाद अपने बच्चे का पोस्चर चेक करें। अगर ऐसा लगे कि आपका बच्चा आगे की ओर झुक रहा है या उसकी कमर झुक रही है तो इसका मतलब है कि बैग ज्यादा भारी हो गया है या फिर उसे प्रॉपर तरीके से कैरी नहीं किया गया है। यह सुनिश्चित करें कि बच्चा टाइम टेबल के हिसाब से ही किताबें ले जाए। अनावश्यक किताबें और चीजें बच्चों के बैग से निकाल बाहर करें। बच्चों में बचपन से ही एक्सरसाइज और योग करने की आदत डालें ताकि वो शारीरिक रूप से फिट और एक्टिव रहें।

पड़ रहा असर

कंधा

भारी या असामान्य स्कूली बस्ते का बोझ शारीरिक संरचना को असंतुलित कर सकता है। गर्दन के आसपास की मांसपेशियों और स्नायुतंत्र पर लगातार बोझ व दबाव के कारण गंभीर खिंचाव उत्पन्न हो जाता है। इस मामले में यदि उचित देखभाल न की जाए तो विभिन्न प्रकार की आथोपेडिक संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

पीठ

यदि आप का बच्चा लगातार भारी स्कूली बस्ता ढो रहा होता है तो कोमल ऊतक (टिश्यू) नष्ट हो जाते हैं जिस कारण चोट या शारीरिक संरचना बिगड़ सकती है। नियमित रूप से 2 किलो से अधिक बोझ वाले बस्ते ढोने से मांसपेशियों में दर्द और रीढ़ संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं

गर्दन

-स्कूली बस्ते जब भारी होते हैं तो गर्दन स्वाभाविक रूप से बोझ के विपरीत दिशा में झुक जाती है। इससे बोझ वाले हिस्से की गर्दन पर खिंचाव बढ़ जाता है और वजन के विपरीत दिशा में दबाव बढ़ जाता है

पैर

भारी बस्ता ढोने के कारण आप के बच्चे की चाल बेढंगी हो जाती है और शारीरिक संरचना के प्रतिकूल दबाव बनने लगता है, जिससे उसे परेशानी हो सकती है

ऐसे बच्चों की संख्या अधिक है जो भारी बैग उठाने से बीमार हो रहे हैं। ओपीडी में रोजाना दस से पंद्रह केस तो इस तरह के आते ही हैं। गर्दन, कंधा और कमर में बच्चों को शिकायत आ रही है। यह तब तक ठीक नहीं होगा, जब तक बोझ कम न हो।

डॉ। प्रशांत सिंह, पीडियाट्रिक्स, एसएसपीजी हॉस्पिटल

भारी बैग उठाने की वजह से बच्चों में तनाव होने लगता है, जिस वजह से उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि घट जाती है। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों का बैग चेक करें और टाइम टेबल के हिसाब से ही कॉपी-किताब रखें।

डॉ। संजय गुप्ता, मनोचिकित्सक, बीएचयू

Posted By: Inextlive