-पिछले साल की तुलना में कम हुए डेंगू के मरीज

-सिटी के तमाम हॉस्पिटल में छह माह में आए 166 मलेरिया के मरीज

मॉनसून अपने ढलान पर है। जाती हुई बारिश में मौसमी बीमारियां पनपने लगी है। वायरल फीवर के रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं तो मलेरिया वाले भी डॉक्टर्स के यहां दस्तक दे रहे हैं। हालांकि इस बार डेंगू का डंक पहले की तुलना में कम है। स्वास्थ्य अधिकारियों की माने तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार चलाए जा रहे अभियान का असर अब दिखने लगा है। लोगों में जागरुकता बढ़ने से पिछले साल जहां सितंबर में 76 डेंगू के मरीज पाए गए थे, वहीं इस बार दो माह में सिर्फ 19 डेंगू पेशेंट की पुष्टि हुई है।

जल भराव से बढ़ा खतरा

रूक-रुककर हो रही बारिश सेमौसम में बदलाव के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। जिसकी वजह से बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी मलेरिया के शिकार हो गए हैं। जगह-जगह पानी का भराव होने से मलेरिया के मच्छर पनप रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम की ओर से डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग व एंटी लार्वा का छिड़काव करवाया जा रहा है। लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहा है।

डेंगू को न बना लें हौव्वा

डेंगू को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। मच्छरों से बचें ताकि डेंगू हो ही न। यदि डेंगू हो गया है तो खानपान पर ध्यान दें। सिर्फ पैरासीटामॉल और ग्लूकोज से ही डेंगू ठीक हो जाता है। प्लेटलेट्स 30 हजार से नीचे आए और नाक, या शरीर के अन्य हिस्सों से ब्लीडिंग होने लगे तो ही प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।

डेंगू के लक्षण

बुखार के साथ शरीर में दर्द, सिर में दर्द, पेट फूलना, मिचली या उल्टी होना, शरीर में दाने या रेशेज पड़ना। बुखार के दूसरे दिन कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) करा लेनी चाहिए। इससे प्लेटलेट्स की स्थिति पता चलती है।

पाइरेथ्रम का करें छिड़काव

यदि मलेरिया विभाग आपके घर तक नहीं पहुंच रहा है तो परेशान न हों। बाजार में कीटनाशक दुकानों पर लार्वा और मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक आसानी से उपलब्ध है। एडीज का लार्वा मारने के लिए अबेट और मच्छर मारने के लिए पाइरेथ्रम (बाजार में दूसरे नाम से) नाम का कीटनाशक अवेलेबल है। अबेट को दस लीटर पानी में पांच मिलीलीटर मिलाकर छिड़काव से लार्वा मर जाते हैं। यदि डेंगू का मच्छर है तो पाइरेथ्रम नाम की दवा के एक लीटर पैक को 19 लीटर केरोसिन (जरूरत के हिसाब से तैयार करें) में मिलाकर स्प्रे पंप से छिड़का जाता है। यदि अबेट नहीं खरीद सकते तो बाइक सर्विस सेंटरों से जला मोबिल लेकर इकट्ठा पानी में डाल दें, लार्वा मर जाएंगे।

मलेरिया के लक्षण

मलेरिया में बुखार तेजी से चढ़ता है। कंपकंपी होने लगती है। कुछ देर बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है। एक-दो दिन में दोबारा यही लक्षण आते हैं। ऐसे में मलेरिया की जांच तत्काल करा लेनी चाहिए।

रखें ध्यान, नहीं होंगे परेशान

- बाहर के भोजन से बचें

- तली-भुनी चीजें न खाएं

- बासी और खुले में रखा खाना न खाएं

- फास्ट फूड का सेवन न करें

- बुखार में आराम करें, वाहन न चलाएं

मच्छरों के काटने से बचाव

- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें।

गढ्डों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें

- डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।

-ऐसे कपड़े पहनें, जिससे शरीर का ज्यादा-से ज्यादा हिस्सा ढका रहे

-खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।

-बच्चों को मच्छर भगाने की क्त्रीम लगाएं

-रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं

एक नजर

40

हजार बुखार पीडि़तों की हुई जांच

166

मरीजों में हुई मलेरिया की पुष्टि

500

सस्पेक्टेड का हुआ एलाइजा टेस्ट

19

मरीजों में हुई डेंगू की पुष्टि

76

डेंगू के मरीज पाए गए थे पिछले साल 10 सितंबर तक

यह मौसम बहुत ही खतरनाक है। पिछले एक माह से लगातार फीवर पेशेंट आ रहे हैं। जांच के बाद मलेरिया की पुष्टि हो रही है। वयस्क के साथ बच्चों पर भी ध्यान देने की जरुरत है।

डॉ। एसके सिंह, फिजिशियन, मंडलीय अस्पताल

डेंगू-मलेरिया को लेकर विभाग बेहद गंभीर है। पिछले साल की तुलना में इस बार डेंगू के मामले कम आ रहे हैं। अस्पतालों में जिन क्षेत्र से डेंगू पेशेंट आ रहे हैं। वहां घरों में पाइरेथ्रम का छिड़काव व फॉगिंग कराई जा रही है।

शरत चंद्र पांडेय, डीएमओ-स्वास्थ्य विभाग

Posted By: Inextlive