अब देश भर के सभी रेल वर्किंग एंप्लाइज और हेल्थ बेनिफिशियरीज का एक तरह का हेल्थ कार्ड बनेगा.

-रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने शुरू की कवायद

-वर्किंग, रिटायर्ड, पेंशनर्स को कलर के जरिए किया जाएगा अलग

-12 डिजिट की मिलेगी मेडिकल आईडी, अल्फा न्यूमेरिक होगी आईडी

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syedsaim.rauf@inext.co.in
GORAKHPUR: गोरखपुर में मेडिकल बुक तो गोंडा में कार्ड, हैदराबाद में बार कोड, तो वहीं मुंबई में हाईटेक व्यवस्था। रेलवे के मेडिकल में इस बिखरी व्यवस्था को अब रेलवे ने ट्रैक पर लाने की कवायद शुरू कर दी है। अब देश भर के सभी रेल वर्किंग एंप्लाइज और हेल्थ बेनिफिशियरीज का एक तरह का हेल्थ कार्ड बनेगा, जिससे उनका इलाज भी देश भर में कहीं भी हो सकेगा। इसके लिए रेलवे ने एससीआर को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें सिस्टम को डेवलप करने के साथ ही इसकी मेनटेनेंस और यूनिक मेडिकल आईडी सिस्टम जनरेट करना है, जिसका फायदा देश भर के रेलवे एंप्लाइज उठा सकें। इसकी कवायद तेजी से चल रही है और कुछ माह में ही रेलवे एंप्लाइज को इस फायदा मिलने की उम्मीद है।

12 डिजिट की अल्फा-न्यूमेिरक आईडी
रेलवे की ओर से शुरू होने वाली व्यवस्था में देश भर के रेल एंप्लाइज को राहत मिलेगी। इसमें सभी को 12 डिजिट की अल्फा-न्यूमेरिक आईडी दी जाएगी, जो देश भर में मान्य होगी। इसमें सर्विग एंप्लाइज, पेंशनर्स और दूसरे हेल्थ बेनिफिशिरीज की पहचान करने के लिए रेलवे इन का‌र्ड्स पर कलर कोडिंग भी करेगा। इसके फ‌र्स्ट थ्री डिजिट से वर्किंग यूनिट की पहचान होगी, आठ डिजिट का ऑटो जनरेटेड नंबर होगा। वहीं, एक कैरेक्टर से भी रेलवे के वर्किंग एंप्लाइज, पेंशनर्स और मेडिकल डिपेंडेंट्स की पहचान हो सकेगी।

रेलवे सिस्टम से रहेगा इंटीग्रेट
सभी रेलवे और टाईअप वाले हॉस्पिटल में इसका वेरिफिकेशन करने की फैसिलिटी भी होगी, जिससे सभी रेलवे एंप्लाइज आसानी से इलाज करा सकेंगे। जिम्मेदारों की मानें तो ऑथेंटिकेशन के लिए अकाउंटिंग इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एआईएमएस) या इंटीग्रेटेड पेरोल मॉनीटरिंग सिस्टम (आई-पास), एडवांस रेलवे पेंशन एक्सेस नेटवर्क (एआरपीएएन) या संबंधित सर्वर से सारे कार्ड इंटीग्रेटेड रहेंगे, जिससे कि जेनविन एंप्लाइज की पहचान करने में किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी। इसके लिए क्रिस और वेस्टर्न रेलवे सिक्योर एक्सेस प्रोवाइड करा रहा है।

रेलवे एंप्लाइज को मिलेगी राहत
रेलवे की इस नई व्यवस्था से रेलवे एंप्लाइज को काफी राहत मिलेगी। खासतौर पर सीरियस बीमारियों का इलाज कराने वाले एंप्लाइज को इससे बड़ा फायदा होगा। ऐसा इसलिए कि अब तक रेलवे में यह व्यवस्था है कि एंप्लाइज को अगर दूसरी जगह इलाज कराना है, तो संबंधित जोन के ऑफिसर्स से इसे वेरिफाई करना पड़ता है कि वह रेलवे का जेनविन एंप्लाई है। अगर ऐसा नहीं है, तो उन्हें अपनी जेब से खर्च अदा करना पड़ता है। मगर इस व्यवस्था के बाद उनका रिकॉर्ड एचआईएमएस से लिंक हो जाएगा और संबंधित हॉस्पिटल ऑनलाइन ही वेरिफिकेशन कर सकेंगे। उनकी यूनिक आईडी डालते ही उनका बायोडाटा के साथ ही पास्ट मेडिकल हिस्ट्री भी सामने आ जाएगी, जिससे दूसरी जगह इलाज करने वाले डॉक्टर्स को भी काफी सुविध होगी।

यूं होगी कलर कोडिंग

सर्विग रेलवे एंप्लाइज - कार्ड के टॉप और बॉटम पर ब्लू स्ट्रिप

पेंशनर्स - कार्ड के टॉप और बॉटम पर ग्रीन स्ट्रिप

सर्विग एंप्लाइज के बेनिफिशियरीज - टॉप पर ब्लू और बॉटम में यलो स्ट्रिप

रिटायर्ड एंप्लाइज के बेनिफिशियरीज - टॉप पर ग्रीन और बॉटम में यलो स्टि्रप

रेलवे को एंप्लाइज की सेहत का ख्याल है। इसके लिए यूनिफॉर्म आईडी कार्ड बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए एससीआर को जिम्मेदारी दी गई है। जल्द ही सभी रेलवे एंप्लाइज को इस सुविधा का लाभ ि1मलने लगेगा।

-संजय यादव, सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive