गंगानगर 'सी ब्लॉक' पर बदहाली का ग्रहण

-कूड़ा, दुर्गध और प्यास से कराह रहा गंगानगर सी ब्लॉक

-सी ब्लॉक का एंट्री प्वाइंट बन गया डंपिंग ग्राउंड

-बदहाली से स्थानीय निवासियों का सांस लेना भी दुश्वार

Meerut: एमडीए की पॉश कालोनी गंगानगर का सी ब्लॉक गंदगी, दुर्गध और प्यास से करहा रहा है। ब्लॉक में बदहाली का आलम यह है कि यहां रहना लोगों के लिए किसी जंग से कम साबित नहीं हो रहा। एंट्री गेट पर कूड़ा और मृत पशुओं से उठती तीखी दुर्गध लोगों को मुंह पर कपड़ा रखने को मजबूर कर देती है।

क्या है मामला

दरअसल, मेरठ विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक गंगानगर आवासीय कालोनी मवाना रोड पर बसी है। एमडीए ने यह कालोनी दो साल पूर्व नगर निगम को भी हैंडओवर कर दी है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस कालोनी का आज तक पूर्ण विकास नहीं हो सका। यहां तक कि इस कालोनी का सी ब्लॉक बरसों से बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है। कालोनी का यह ब्लॉक पिछले कुछ बरसों में डंपिंग ग्राउंड बनकर रह गया है। नगर निगम की गाडि़यां शहर भर का कूड़ा यहां लाकर पटक देती है। जिससे निकले वाली दुर्गध कालोनी के लोगों का जीना मुहाल कर देती है।

सड़ रहे मवेशियों के शव

यहां बदहाली का आलम यह है कि कूड़ा करकट तो अलग बात बाहरी लोग यहां मृत पशुओं के शव फेंक कर चले जाते हैं। खुले में पड़े इन शवों से उठने वाली तीखी दुर्गध न केवल फिजा में जहर घोलने का काम कर रही है, बल्कि यहां के लोगों को बीमारियां भी परोस रही है। इस कालोनी की बदहाली की न तो नगर निगम सुध ले रहा है और न ही एमडीए को कोई खबर है।

देखरेख से इंकार, गंदगी की भरमार

मजे की बात तो यह है कि जब कालोनी के लो इस हिस्से में होने वाली बिजली पानी व सफाई व्यवस्था संबंधी कोई शिकायत नगर निगम अफसरों से करते हैं तो वह ये कहकर इंकार कर देते हैं कि ये हिस्सा उनके हैंड ओवर नहीं है। फिर ऐसे में उसी जमीन पर कूड़ा डालने की स्वीकृति निगम को कहां से मिली है इस बात पर वह टाल मटोल करते नजर आते हैं।

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पानी भी नहीं मयस्सर

एमडीए ने गंगानगर कालोनी में वाटर सप्लाई के लिए खुद की टंकियों का निर्माण किया था। सी ब्लॉक में भी अलग से पानी की टंकी का निर्माण किया गया था। लेकिन यहां किसानों के साथ चलते मुआवजे के विवाद के फेर में इस टंकी को शुरू नहीं किया गया। इससे हुआ यूं कि यहां रह रहे लोगों के सामने पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया। लाख शिकायतों के बाद भी इस समस्या का निस्तारण नहीं किया जा सका। परिणाम स्वरूप लोगों ने मजबूरीवश निजी हैंड पंप और सबमर्सिबल की व्यवस्था कर ली।

हर समय कूड़ा जमा रहने से दुर्गध मची रहती है। बरसात के दिनों में और भी अधिक बुरा हाल हो जाता है। सारा कूड़ा पानी के साथ बहकर घरों में आ जाता है।

-मोहित विश्नोई

मकान के पास ही जमा कूड़े के ढेर में निगम की गाडि़या मृत पशुओं के शव डाल जाती हैं, जिसमें उठने वाली बदबू के चलते सांस लेना मुहाल हो जाता है। निगम अफसरों से कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।

-ममता चौधरी

नगर निगम के कर्मचारी यहां सफाई करने तो आते नहीं उल्टा कूड़ा और डाल जाते हैं। एमडीए अफसर इसको नगर निगम का फाल्ट बताकर निगम दफ्तर भेज देते हैं। और निगम अफसर जमीन एमडीए की बताकर एमडीए भेज देते हैं। समस्या का कोई हल नहीं निकल पा रहा है।

-अरविंद कुमार

कूड़े के कारण यहां पशु व अन्य जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है। समस्या का कोई हल नजर नहीं आ रहा है। एमडीए में कई बार शिकायत कर चुके हैं। अब लगता है जैसे शिकायत करने का कोई फायदा नहीं।

-हेमंत कुमार

जमीन पर कूड़े वाला मामला संज्ञान में नहीं है। योजना प्रभारी से इस मामले की जानकारी ली जाएगी। नगर निगम को इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा।

-राजेश कुमार यादव, वीसी एमडीए

कूड़े की गाडि़यां किला रोड स्थित गांवड़ी लैंड फिल ग्राउंड में कूड़ा उतारती हैं। यदि ऐसा कोई मामला है तो उसकी जांच कराई जाएगी।

-डा। प्रेम सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

Posted By: Inextlive