सर्दियों में दिल को रखें दुरुस्त
सर्दियों के मौसम में हृदय संबंधी समस्याओं के मामलों के बढ़ने के कुछ कारण हैं.शरीर में होने वाले कुछ विशेष बदलावों और वातावरण में होने वाले परिवर्तनों के कारण हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं . ये दोनों कारक मिलकर हृदय संबंधी समस्या उत्पन्न करते हैं. आइए जानते हैं इन कारणों को..
सर्दियों के परिणामस्वरूप त्वचा में स्थित रक्त वाहिनियां शरीर की गर्मी को संरक्षित (कंजर्व) रखने के लिए सिकुड़ जाती हैं. नतीजतन, ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है.जिस तरह से गर्मियों में पसीना बहने से देह से साल्ट बाहर निकल जाते हैं, वैसा सर्दियों में नहीं होता. इस कारण शरीर में साल्ट संचित हो जाते हैं. उपर्युक्त दोनों स्थितियां मिलकर हृदय की मांपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं. जिसके परिणामस्वरूप हृदय संबंझी कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं.सुबह कड़ाके की ठंड पड़ने के कारण आमतौर पर लोग बाहर निकलकर व्यायाम करने या अन्य शारीरिक गतिविधियां करने से कतराते हैं. इसके अलावा सर्दियों में कई त्योहारों के पड़ने और सामाजिक समारोहों के कहीं ज्यादा संपन्न होने के कारण ऐसे अवसरों पर लोग बहुत ज्यादा खाते हैं. यही नहीं,अधिक कैलौरीयुक्त खाद्य पदार्र्थो के लेने के परिणामस्वरूप लोगों का वजन बढ़ता है और उनके कोलेस्ट्रॉल और ब्लडप्रेशर में वृद्धि होती हैं.ये सभी स्थितियां दिल की सेहत के लिए नुकसानदेह हैं.मौसम के ठंडे होने के कारण हवा में व्याप्त प्रदूषित कण (पॉल्यूटेंट) वातावरण में ऊपर की ओर फैल नहीं पाते हैं. इस कारण हवा में प्रदूषित तत्वों का घनत्व (डेंसिटी) बढ़ जाता है, जिससे प्रदूषण भी बढ़ता है. इस कारण सर्दियों में सांस संबंधी रोग भी बढ़ जाते हैं, जिनके कारण पहले से ही हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों के कमजोर हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.
सार्थक सुझाव
(डॉ.नरेश त्रेहन सीनियर कार्डिएक सर्जन)
(मेदांत दि मेडिसिटी, गुड़गांव)
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