- समाज महिलाओं के इलाज में जागरूक नहीं

- महिलाओं की एंजियोप्लास्टी से कतराते हैं परिजन

LUCKNOW : हार्ट की जानलेवा बीमारियों के इलाज में भी महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। केजीएमयू के कॉर्डियोलॉजी विभाग की स्टडी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जिसेके अनुसार हार्ट अटैक के बाद पहुंचने वाले मरीजों में लगभग 80 से 85 परसेंट पुरुषों की एंजियोप्लास्टी की जाती है जबकि सिर्फ 30 से 40 परसेंट महिलाओं को ही यह सुविधा मिल पाती है।

महिलाओं में इग्नोरेंस ज्यादा

केजीएमयू के डॉ। शरद चंद्रा, डॉ। गौरव चौधरी और डॉ। अक्षय प्रधान ने बताया कि विभाग में की गई एक स्टडी के अनुसार महिलाओं में इग्नोरेंस अधिक है। महिलाएं हार्ट अटैक, एंजाइना पेन या अन्य हार्ट की समस्याओं को जल्दी दवा नहीं लेना चाहती। साथ ही जो महिलाएं अटैक के बाद अस्पताल पहुंच जाती हैं उनको भी एंजियोप्लास्टी की सुविधा कम ही मिल पाता है। परिवार ज्यादातर केसेज में चाहते हैं कि दवा पर इलाज चलता रहे।

कार्डयिोलॉजी विभाग में हार्ट अटैक के बाद आने वाले मरीजों में 52 से 55 परसेंट पुरुष और 45 से 48 परसेंट महिलाएं हैं। लगभग 70 से 80 प्रतिशत पुरुषों में तो एंजियोप्लास्टी हो जाती है लेकिन महिलाओं के मामले में सिर्फ 30 से 40 प्ररसेंट महिलाओं को ही सुविधा मिल पाती है। फैमिली मेंबर्स एंजियोप्लास्टी कराने की बजाए महिलाओं को दवाओं पर रखना अधिक पसंद करते हैं। महिलाओं के मामले में लोग एंजियोप्लास्टी पर पैसा खर्च करने से कतराते हैं। यह खतरनाक है और आगे चलकर बड़े हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है।

तो दिलाएं दवा

डॉक्टर्स के अनुसार अगर किसी को हार्ट अटैक हुआ है और बड़े हार्ट चिकित्सा संस्थान में पहुंचने में दो तीन घंटे से अधिक का समय लगता है तो पास में ही फिजीशियन को चाहिए कि वे खून का थक्का गलाने वाली दवा दे दे। अब ये दवा सिर्फ ढाई हजार में ही आती है। उसके बाद जल्द से जल्द बड़े अस्पताल पहुंचे। इससे बड़ी संख्या में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से बचाया जा सकता है।

तो पहुंचे डॉक्टर के पास

डॉक्टर्स के अनुसार यदि चलने के दौरान सीने में भारीपन और रुकने में आराम मिल जाए, कोई भी चेस्ट पेन 20 मिनट तक रहे, या फिर सीने में दर्द होने के साथ पसीना तक आ जाए तो तुरंत जांच करानी चाहिए। दर्द से बचाव की दवा खाने से काम नहीं चलेगा। जल्द से जल्द हार्ट के डॉक्टर से कंसल्ट करना आवश्यक है।

कम उम्र में गंभीर अटैक

डॉक्टर्स ने बताया कि स्टडी में यह भी सामने आया है कि भारत में कम उम्र में गंभीर अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। जबकि वेस्टर्न कंट्रीज में ऐसा नहीं है। यह चिंताजनक है और लोगों को अपनी दिनचर्या सुधारनी होगी। उन्होंने बताया कि देश में 30 लाख मेजर हार्ट अटैक के केस हर साल सामने आते हैं।

देखे गए एक लाख मरीज

केजीएमयू की कार्डियोलॉजी ओपीडी में रोजाना 500 मरीजों को देखा जाता है। साथ ही लगभग 40 मरीजों की कैथ लैब में एंजियोप्लास्टी, एंजियोग्राफी या अन्य प्रोसीजर किए जाते हैं। 2016 में कुल लगभग एक लाख 10 हजार ओपीडी और लगभग 10 हजार मरीजों का भर्ती कर इलाज किया गया। जिनमें से 8500 की शल्य चिकित्सा की गई। इनमें से लगभग 3500 को एंजियोप्लास्टी, 700 को पेसमेकर, 150 को वाल्वुलोप्लास्टी, 50 की शिशु चिकित्सा और 80 को रेडियोफ्रीक्वेंसी एबलेशन की चिकित्सा प्रक्रिया की गई।

कार्डिकॉन 2017 आज से

कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी का 23वां वार्षिक अधिवेशन 25-26 फरवरी को आयोजित किया जाएगा। इसमें देश विदेश के बहुत से डॉक्टर कार्डियोलॉजी के आधुनिक इलाज के बारे में चर्चा करेंगे और यंग डॉक्टर्स को जानकारी देंगे।

Posted By: Inextlive