1:30 बजे दोपहर में शुरू हुआ सिग्नेचर कैंपेन

2:25 बजे क्लोज हुआ सिग्नेचर कैंपेन

126 पेरेंट्स ने किए सिग्नेचर

160 बच्चों ने किए सिग्नेचर

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बरेली: कंधों में दर्द होता है अंकल बैग का वजन करवा दो, अच्छा भारी बस्ता अभियान के सिग्नेचररुको-रुको अंकल मुझे भी सिग्नेचर करने दो, मम्मी आप भी सिग्नेचर करो नकुछ इसी तरह के कमेंट्स स्कूल से छुट्टी में निकल रहे बच्चों ने भारी बस्ता अभियान का सिग्नेचर कैंपेन के दौरान बच्चों ने बोले। बच्चों के साथ परेंटेस ने भी कैंपेन को सपोर्ट किया। वे बोले अच्छी मुहिम है सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए और स्कूल संचालकों पर एक्शन लेना चाहिए। मंडे दोपहर में जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम कैंट स्थित सेंट मारिया गोरेटी स्कूल के बाहर सिग्नेचर कैंपेन चलाया तो बच्चों का दर्द शब्दों में छलक गया। वहीं परेंट्स ने भी इसका खुलकर सपोर्ट किया। कैंपेन में करीब 160 से ज्यादा बच्चों और 126 पेरेंट्स ने सिग्नेचर किए।

शिकायत की पर नहीं मिली राहत

सिग्नेचर कैंपेन में शामिल पेरेंट्स ने बताया कि वे भी चाहते हैं कि लाडले के बैग का वजन कम हो, लेकिन वे क्या करें समझ नहीं आता है। स्कूल में कई बार कंप्लेन की पर कोई राहत नहीं मिली। मैनेजमेंट से कहा तो वह बोले, बच्चों को सभी विषय की जानकारी तो देना ही पड़ेगी। ऐसे में अगर आप नहीं चाहते तो कहीं और एडमिशन ले लें।

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-बच्चों पर अनवांटेड लोड नहीं डालना चाहिए। क्योंकि इससे उनके कंधों और रीढ़ की हड्डियों में प्रॉब्लम होने लगती है। इसीलिए भारी बैग को कम किया जाए। मानक के अनुरूप ही वजन होना चाहिए।

डॉ। जीआर दिवाकर, आर्थो सर्जन

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आजकल जो बच्चे दवा लेने के लिए आ रहे हैं। उनमें से ज्यादातर बच्चे सिर दर्द, चक्कर आना और सर्वाइकल पेन से परेशान हैं। अभी बचपन में इस तरह की प्रॉब्लम से फ्यूचर में समस्या और बढ़ सकती है।

डॉ। मून अरोरा, होम्योपैथिक कंसलटेंट

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पेरेंट्स की बात

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-बच्चों का भारी बैग लाना और ले जाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसके लिए पेरेंट्स ही अकेले कुछ नहीं कर सकते हैं। स्कूल मैनेजमेंट का भी ध्यान देना चाहिए।

गार्गी

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भारी बस्ता अभियान दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने चलाया जो काफी अच्छा लगा। बच्चों की प्रॉब्लम है तो सभी को ध्यान देना चाहिए। चाहें वह स्कूल हो, मैनेजमेंट हो या फिर पेरेंट्स।

रेनू

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बस्ता इतना भारी है कि बच्चों की क्या बात करूं मुझे भी दो बैग लेकर जाने में मुश्किल हो जाती है। ऐसे में लगता है कि बच्चों को बैग लाना और ले जाना कितना मुश्किल होता है।

नेहा

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बच्चों का बैग काफी भारी है। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि बच्चों को भारी बैग से प्रॉब्लम होती है। बच्चों को भारी बैग की वजह से बैक पेन की प्रॉब्लम अभी से होने लगी है।

पुनीत

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-बच्चों की कई बुक्स ऐसी हैं, जिन्हें बेवजह मंगाया जाता है। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट ने कोर्सेस में बुक्स इतनी लगा दी है कि बच्चों का बैग जरूरत से ज्यादा भारी हो जाता है। फिर वो बैग डेली स्कूल ले जाना किसी चैलेंज से कम नहीं।

कुंवर पाल

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बच्चों के वर्जन

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बैग भारी है, स्कूल से वैन तक लाने में ही कंधे थक जाते हैं। भारी बैग से परेशानी तो होती है। मुश्किल हो जाती है, बैग का वजन कम होना चाहिए। जिससे परेशानी न हो।

रिषभ

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भारी बैग से परेशानी तो होती है इसीलिए पेरेंट्स के आने का इंतजार करते हैं। मुझे तो बैग लाने और ले जाने में बहुत दिक्कत होती है। बैग का वजन कम होना चाहिए।

इशांत

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-बैग पैदल लेकर जाना पड़ता है तब लगता है कि कितना भारी बैग है। मैं तो साइकिल से स्कूल आता-जाता हूं। लेकिन मेरे दोस्त पीठ पर लादकर लाते वह जानते हैं कि कितना मुश्किल होता है।

सक्षम

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-स्कूल साइकिल से जाता हूं। लेकिन किसी दिन जब साइकिल नहीं लाता हूं तो बैग फ्रेंड की साइकिल पर लेकर जाना पड़ता है। क्योंकि इतना भारी बैग ले जाने में कंधे दर्द कर जाते हैं।

प्रियांश

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-स्कूल में जो भी बच्चे आते हैं उनके लिए इतने भारी बैग लाना मुश्किल होते हैं। मैं तो स्कूल साइकिल से आता हूं। लेकिन जब स्कूल तक बैग को लेकर जाता हूं तो लगता है बैग भारी है।

अनुज सागर

Posted By: Inextlive