-3 लोग टिहरी में मकान के मलबे में जिंदा दफन

-300 यात्री बदरीनाथ में फंसे, दूसरे दिन भी नहीं खुला हाईवे

-500 यात्री पहले ही जोशीमठ में फंसे हुए हैं

-200 केदारनाथ यात्री सोनप्रयाग में रोके गए

अब तक मौतों का आंकड़ा

(ये घटनाएं जुलाई की हैं)

-पिथौरागढ़ में 37

-चमोली में 9

-नरेंद्र नगर में 4

-हरिद्वार में 4

-हल्द्वानी में 1

देहरादून : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में फिर आसमान से आफत बरस रही है। पिछले 36 घंटे से लगातार मूसलाधार बारिश से पहाड़ फिर दरकने लगे हैं। टिहरी जिले में बारिश ने तीन लोगों की जान ले ली। मूसलाधार बारिश से घर ढह गया और एक ही परिवार के तीन लोग मलबे में दफन हो गए। मृतकों में मां, बेटी और बेटा शामिल हैं। शनिवार सुबह टिहरी जिले में भिलंगना ब्लाक के पुर्वाल गांव में हुआ। तड़के घर में सो रही मीना देवी (40), उनका बेटा सोहन लाल (14) और बेटी सोना (16) तीनों काल के गाल में समा गए। मीना के ससुर पिंगलदास मलबे में दब गए। किसी तरह मलबे से निकल पिंगलदास ने शोर मचाया तो गांव के लोग वहां पहुंचे, लेकिन मीना देवी और उनके दो बच्चों को नहीं बचाया जा सका।

नई टिहरी में नुकसान

नई टिहरी में शनिवार सुबह बादल फटने से भारी नुकसान हुआ। कई घरों, दुकानों और दफ्तरों में पानी घुस गया। कोटी कॉलोनी के पास खांडखाला में एक मकान भी ध्वस्त हो गया। शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे बादल फटा। नई टिहरी-कोटी कॉलोनी रोड पांगरखाल के पास लगभग 25 मीटर बह गई। भागीरथीपुरम के चार परिवारों ने सुरक्षित स्थानों में शरण ली है।

पुल का पिलर टूटा, ट्रेनें रद

गढ़वाल सीमा से सटे क्षेत्र में नजीबाबाद-कोटद्वार रेल ट्रैक पर सुखरो नदी में बने पुल का एक पिलर शनिवार सुबह पौने पांच बजे ढह गया। इससे कोटद्वार-नजीबाबाद के मध्य चलने वाली तमाम रेल सेवाएं रद कर दी गई हैं।

भागकर बचाई जान

कुमाऊं में भी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। अल्मोड़ा जिले में दन्या व रानीखेत क्षेत्र में आधा दर्जन घर ढह गए। यहां रह रहे लोगों ने किसी तरह भाग कर जान बचाई। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल और बागेश्वर में नदी नाले उफान पर हैं और भूस्खलन के चलते दर्जनों सड़कों पर आवाजाही बाधित है। पिथौरागढ़-टनकपुर और अल्मोड़ा मार्ग बंद होने से पिथौरागढ़ अलग-थलग पड़ गया है। यहां रसोई गैस और अखबार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पिथौरागढ़ शहर में अब दूध व सब्जी की किल्लत भी होने लगी है।

करीब 800 यात्री हाई-वे पर फंसे

शुक्रवार को बदरीनाथ के पास लामबगड़ में मलबा आने से बंद सड़क दूसरे दिन भी नहीं खोली जा सकी। इसके कारण करीब 300 श्रद्धालु बदरीनाथ में ही फंसे हुए हैं, जबकि 500 से ज्यादा यात्री जोशीमठ में मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। केदारनाथ मार्ग भी शुक्रवार से गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच बंद है और गौरीकुंड से डेढ़ किमी दूर पैदल मार्ग पर से भी मलबा नहीं हटाया जा सका है। शनिवार सुबह मौसम के तेवर देखते हुए प्रशासन ने केदारनाथ जाने वाले 200 यात्रियों को सोनप्रयाग में ही रोके रखा। हालांकि गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्गो पर यातायात सुचारु है।

26 से 28 तक भारी बारिश

रविवार को मानसून की रफ्तार कुछ सुस्त रहेगी। लेकिन सोमवार रात से इसमें तेजी की संभावना है। द्रोणी का रुख उत्तराखंड की ओर होने के साथ ही एक सर्कुलेशन भी बन रहा है। इस सबके चलते अनेक स्थानों में हल्की से मध्यम वर्षा का क्रम बना रहेगा। 25 जुलाई की रात से लेकर 28 जुलाई तक राज्य के लगभग सभी हिस्सों में बारिश होगी। यही नहीं, सभी जिलों में कहीं- कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है। लिहाजा, इस अवधि में विशेष सतर्कता बरते जाने की जरूरत है।

विक्रम सिंह, निदेशक, राज्य मौसम केंद्र

Posted By: Inextlive