प्रतिभा की अनदेखी पड़ रही है भारी
- शहर में दस से अधिक फुटबॉल क्लब
- पचास से अधिक हैं फुटबॉल के नेशनल प्लेयर मेरठ। शहर में फुटबॉल की चाहत में कमी नहीं आई है। यहां पर फुटबॉल के क्लब भी हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिलती है। लेकिन फिर भी कई ऐसे क्लब हैं जो अपने पैसों से फुटबॉल के खिलाडि़यों के लिए टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं। पांच साल बाद जिला फुटबॉल एसोसिएशन की ओर से पांच साल बाद दुर्गा सिंह ट्रॉफी का आयोजन किया गया था। बीते पांच साल तक शहर में कोई टूर्नामेंट ही नहीं हुआ था। दो माह पहले तोपखाना स्थित फुटबॉल ग्राउंड में यह टूर्नामेंट कराया गया था। जिसमें एक दर्जन से अधिक टीमों से भाग लिया था। कराते हैं तीन टूर्नामेंटशहर में दस से अधिक फुटबॉल क्लब हैं। जिनकी ओर से शहर में हर साल तीन टूर्नामेंट कराए जाते हैं। रामलाल कन्नौजिया फुटबॉल टूर्नामेंट, जगनलाल तोमर फुटबॉल टूर्नामेंट और चंदा फुटबॉल क्लब टूर्नामेंट हर साल होता है।
यहां पर सरकार की ओर कोई सहायता नहीं मिलती है। न ही कोई टूर्नामेंट होता है। हमने एक क्लब बना रखा है। उसी के माध्यम से हम टूर्नामेंट कराते हैं। जय सिंह, नेशनल प्लेयरसरकार यदि इस ओर ध्यान दे तो यहां पर प्रतिभाओं की कमी नहीं है। फुटबॉल के बहुत अच्छे प्लेयर्स हैं। लेकिन सुविधा न मिलने के कारण उभर नहीं पाते हैं।
वेद प्रकाश, नेशनल प्लेयर एक क्लब बना रखा है। उसी के माध्यम से टूर्नामेंट कराते रहते हैं। हमें जो मौका नहीं मिला वह मौका नए खिलाडि़यों को तो मिल जाए। इसीलिए प्रयास करते हैं। पॉल थॉमस, नेशनल प्लेयर क्लब की ओर से हमने एक ग्राउंड बना रखा है। उसकी मेंटीनेंस हम लोग मिलकर ही कराते हैं। जिससे फुटबॉल खिलाडि़यों को खेलने के लिए बाहर न जाना पड़े। शहर में फुटबॉल खेलने के लिए कोई ग्राउंड नहीं है। जय कुमार उर्फ डंपी, नेशनल प्लेयर