Gorakhpur : सिटी में एक महीने में 9 लोगों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. सुसाइड करने वालों में सभी यूथ थे. बीते कुछ सालों में यूथ में अपनी जान देने की टेंडेंसी बढ़ रही है. उन्हें अपनी समस्याओं से निपटने का कोई रास्ता नजर नहीं आता इसीलिए यह सुसाइड को आसान रास्ता मानते हंै. अनचाही मौत का दामन थामने वालों को बचाया जा सकता है लेकिन इसके लिए फैमिली और उनके आस-पास के लोग को जरा एक्टिव होना पड़ेगा.


क्यों करते हैं सुसाइडयूथ में सुसाइड के बढ़ते रेट को देख कर यही सवाल यह उठता है कि आखिर ये किन वजहों से लोग खुद की जान लेने की सोचते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो सुसाइड करने के मेन रीजन ये हो सकते हैं।Desire turns into disappointmentसुसाइड पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई है कि सुसाइड करने वाले दो तिहाई लोग टेंशन के कारण सुसाइड करते हैैं। आमतौर पर यह टेंशन ख्वाहिशों (डिजायर) के कारण होती है। यूथ लाइफ में बहुत कुछ पाने की इच्छा रखता है। कोशिश भी करता है, लेकिन जब खुद को नाकाम महसूस करता है तो कई बार सुसाइड को ही लास्ट ऑप्शन के रूप में देखने लगता है। खास बात यह है कि यह टेंशन किसी मानसिक बीमारी से कम नहीं होती है, लेकिन लोग इसका ट्रीटमेंट नहीं कराते हैं।To get attention


ऐसे केसेज में ज्यादातर लव एंड अफेयर वाले आते हैं। अक्सर लोग किसी खास व्यक्ति का अटेंशन पाने के लिए सुसाइड की कोशिश करते है। वो दूसरे को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए भी इसका सहारा लेते हैं जिस चक्कर में कई बार वो मौत के शिकार हो जाते है। ऐसे केसेज में लड़कियों की संख्या ज्यादा पाई जाती है। जिन्हें घर में बंदिशों में रखा जाता है या उनका अपने दोस्त या ब्वॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हुआ होता है।Drugs & drink kills too नशा यूथ के बीच अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। ड्रग भी सुसाइड का एक बड़ा कारण माना जाता है। किसी ड्रग या शराब के नशे में अक्सर लोग इतने ज्यादा इमोशनल हो जाते है कि वो मौत को गले लगाने की कोशिश भी करते है।Its a mental problemसुसाइड का एक बड़ा कारण लोगों का मेंटली इल होना भी है। यह ऐसी कंडीशन होती है जिसमें इंसान जिंदा नहीं रहना चाहता है। मेडिकल टर्म में इस बीमारी को सीजोफ्रेनिया कहते है। खास बात यह है कि इसका इलाज कर लोगों में सुसाइड की आशंका को कम किया जा सकता है।Help them this wayअगर आपको किसी शख्स में सुसाइड के कोई सिम्पटम्स नजर आएं तो आफ कुछ इस तरह से उनकी हेल्प कर सकते हैं- उस शख्स से खुद को जोड़ने की कोशिश करें। वह आपसे अपनी तकलीफ शेयर करे तो उसकी बात ध्यान से सुनें।- उसके साथ रहकर और उसकी हर बात को सुनकर आप उसे यह अहसास दिला सकते हंै कि आप उसकी परवाह करते है।

- उस शख्स को यह न बताएं कि उसे कैसा फील करना चाहिए या फिर उसे क्या करना चाहिए। आप बस उन्हें उनके साथ होने का एहसास दिलाएं।- अगर कोई आपसे कंफेस करता है कि उसके दिमाग में सुसाइड प्लान चल रहा है या उसका ऐसा करने का कोई प्लान है तो आप उसे सीरियसली लेते हुए उसको तसल्ली देने की कोशिश करें।- जहां तक पॉसिबल हो, ऐसे लोगों को हमेशा खुश रखने की कोशिश करें। उन्हें लेक्चर देने की बजाए लाइटली डील करें।Figures speakएनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2012 में इंडिया में 33.6 परसेंट ने जहर खाकर और 31.5 परसेंट ने फांसी लगाकर सुसाइड किया है। 9.2 परसेंट लोगों के आग लगाकर और 6.1 परसेंट लोगों के पानी में डूबकर सुसाइड करने की बात सामने आई है।केस नंबर-1 12 अगस्त-कर्ज के बोझ से लदे शाहपुर राप्ती नगर के एक युवक ने राप्ती नदी में छलांग लगा दी थी।केस नंबर-230 अगस्त-राजघाट पुल पर एक युवती साइकिल से आई और नदी में छलांग लगा दी। केस नंबर-32 सितंबर-मियां बाजार के आजम ने सुसाइड नोट रख कर नदी में छलांग लगा दी। केस नंबर- 49 सिंतबर-

कुसम्ही जंगल के पास रेलवे ट्रैक पर कूदकर एक युवक ने सुसाइड कर लिया।  केस नंबर-521 सितंबर- पिता की डांट से क्षुब्ध होकर 11वींके एक स्टूडेंट ने राप्ती में छलांग लगा दी थी।केस नंबर-6 22 सितंबर रेती चौक के सैफ ने राजघाट के पुराने पुल से छलांग लगा दी थी। बॉडी का पता नहींचला।केस नंबर-7 23 सितंबर खोराबार में एक महिला रहस्यमय परिस्थितियों में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड में दो टेडेंसी होती है, हेल्पलेसनेस और होपलेसनेस। यूथ और टीनएजर्स में टालरेंस की कमी हो रही है। इसलिए?आवेश में सुसाइड जैसे कदम उठा रहे हैं।डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

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