PATNA : वल्र्ड बैंक को बिहार में स्कूली टीचर्स को ट्रेनिंग देने की कमान सौंपी जाएगी. राइट टू एजुकेशन के लागू होने के बाद वर्ष 2020 तक 10 लाख टीचर्स की जरूरत होगी. इन सभी टीचर्स को उनकी नियुक्ति के दो वर्षों के भीतर ट्रेंड करना होगा.


बुधवार को होटल चाणक्या में इनफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी और ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग पर आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में सीएम नीतीश कुमार ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सेवा यात्रा के दौरान मैंने 18 जिलों में स्कूलों की स्थिति को करीब से देखा है। इन जिलों में 50-60 परसेंट बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं। इसके लिए पहले इग्नू को अप्रोच किया गया था, पर उसका फायदा नहीं हुआ।पांच साल में खर्च होंगे 1600 करोड़
सीएम ने कहा कि एससीईआरटी पर सरकार अगले पांच साल में 1600 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस मौके पर मौजूद एजुकेशन मिनिस्टर पीके शाही ने कहा कि 1992 के बाद टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट्स बंद हो गए, जिस कारण ट्रेंड टीचर्स की संख्या में लगातार कमी होती गई। इसे दूर करने के लिए राज्य सरकार ने अपने कुल बजट का 13 परसेंट हिस्सा एजुकेशन सेक्टर के लिए एलॉट किया है। कान्फ्रेंस में यूके, कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया और गुयाना समेत कई देशों के डेलिगेट्स शामिल हुए हैं। इसके तहत वल्र्ड बैंक के साथ पांच साल का करार होगा। वल्र्ड बैंक के एक डेलिगेट ने बताया कि फिलहाल प्राइमरी टीचर्स को दो सालों की ट्रेनिंग दी जाएगी।

Posted By: Inextlive