Varanasi: टाइम मैग्‍जीन ने उन्‍हें हीरो ऑफ द प्‍लैनेट कहा था. वे सही मायनों में इनवारमेंट के हीरो थे. उन्‍होंने हमारे रिलीजियस बिलिव को साइंटिफिकली प्रूव किया था. उनके अचीवमेंट्स पर एक रिपोर्ट...


गंगा के लिए संकटमोचन फाउंडेशनधर्म और विज्ञान के समन्वयक की विशिष्ट पहचान रखने वाले प्रख्यात पर्यावरणविद् व संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो। वीरभद्र मिश्र का 75 वर्ष की आयु में बुधवार को एसएस हॉस्पिटल बीएचयू में निधन हो गया। उनके निधन की सूचना से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गयी। प्रो। मिश्र आईटी बीएचयू में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड भी रहे थे। गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा और स्नेह रखने वाले प्रो। मिश्र ने गंगा के अविरल और निर्मल प्रवाह के लिए संकटमोचन फाउंडेशन की स्थापना की। गंगा के निर्मलीकरण के प्रति उनके गंभीर प्रयासों के चलते लोग उन्हें गंगा पुत्र के नाम से भी जानते थे। उनका अंतिम संस्कार 14 मार्च को हरिश्चंद्र घाट पर होगा। वे अपने पीछे शोकाकुल पत्नी, बेटे प्रो। विश्वम्भरनाथ नाथ व डॉ। विजयनाथ मिश्रा सहित पोते-पोतियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं।
पिछले दस दिनों से थे एडमिट


प्रो। मिश्र को उनके परिजनों ने दस दिन पहले एसएस हॉस्पिटल के आईसीयू में सांस की शिकायत के चलते एडमिट किया था। उनकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा था। इसी बीच उन्हें ब्रांकोन्यूमोनिया का इंफेक्शन हो गया। इसके चलते ब्लड प्रेशर गिरने लगा। डॉक्टर्स ने उनके ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें नहीं बचा सके। हॉस्पिटल से प्रो। मिश्र का शव उनके तुलसीघाट स्थित आवास पर लाया गया। वहां उन्हें श्रद्धाजंलि देने वालों की भारी भीड़ उमड़ी। शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। हीरो ऑफ द प्लैनेट थे प्रो। मिश्र प्रो। वीरभद्र मिश्र को टाइम मैगजीन ने उनके विशिष्ट कार्यों के लिए 1999 में हीरो ऑफ द प्लैनेट के खिताब से नवाजा था। 26 सितंबर 1938 में जन्मे हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट प्रो। मिश्र आईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से रिटायर हुए थे। साइंस से जुड़े होने के बावजूद भारतीय धर्म और आध्यात्म में उनकी गहरी आस्था थी। तुलसीदास द्वारा स्थापित संकटमोचन महंत की गद्दी उन्हें नौ वर्ष की अवस्था में पिता की मृत्यु के बाद मिली थी। वयस्क होने तक मंदिर की व्यवस्था चाचा पं। अमरनाथ मिश्र करते थे। संगीत के प्रेमी प्रो। मिश्र संकटमोचन फाउंडेशन के बैनर तले हर साल संकटमोचन संगीत समारोह का आयोजन करते थे। इसमें देश के बड़े संगीतज्ञ शामिल हो कर गर्व का अनुभव करते थे। उनकी  विद्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंडिया आये तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन ने विशेष तौर पर इनसे मुलाकात की थी। प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र महंत घोषित

संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो। वीरभद्र मिश्र के निधन के बाद काशी के आचार्यों ने तिलक लगाकर उनके बड़े पुत्र प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र को  संकटमोचन मंदिर का नया महंत घोषित कर दिया। प्रो। विश्वम्भनाथ अखाड़ा व मंदिर के महंत के साथ ही संकटमोचन फाउंडेशन के भी अध्यक्ष होंगे। फाउंडेशन की कार्यकारिणी ने आपात बैठक में इसका निर्णय लिया।

Posted By: Inextlive