- केजीएमयू के 15वां दीक्षांत समारोह में टॉप मेडल में ग‌र्ल्स का कब्जा

- गवर्नर बोली बेटियां दहेज प्रथा का करें विरोध

- अवार्डी बोले हेल्थ सेक्टर में बेहतर काम करने का लक्ष्य

LUCKNOW:

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कनवेंशन सेंटर में अपना 15वां दीक्षांत समारोह धूमधाम से मनाया। दीक्षांत में एमबीबीएस की छात्रा सना मोहसिन को सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल और आकर्षी गुप्ता को केजीएमयू चांसलर मेडल से नवाजा गया। दीक्षांत में कुल 44 मेडल दिये गये, जिसमें यूजी, पीजी व सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के टॉपर शामिल रहे। वहीं कुल 1466 डिग्री बांटी गई। इस अवसर पर पहली बार प्राइमरी के 30 बच्चे शामिल हुए। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि गवर्नर आनंदीबेन पटेल, विशिष्ट अतिथि के तौर पर मंत्री सुरेश खन्ना और प्रो। बलराम भागर्व सचिव डीएचआर, वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

डॉक्टर व नर्स बता नहीं पाते

समारोह में बोलते हुए गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने बताया कि मैं कई हॉस्पिटल में जाती हूं, वहां की सुविधाएं, डाक्टर-नर्स कैसा काम कर रहे देखती हूं। जो बेड पर महिला मरीज है उसको क्या हुआ, कब दवाई दी गई या कब डाक्टर ने देखा पूछो तो बता नहीं पाते है इसलिए आप जहां भी जाएं इस व्यवस्था को बदलते हुये बेहतर काम करने का संकल्प लें।

इलाज के नाम पर उगाही होती

गवर्नर ने कहा कि मरीज से इलाज के नाम पर पैसे लिए जाते हैं। जब ऐसा सुनती हूं तो दर्द होता है जबकि केंद्र और प्रदेश सरकार इलाज के लिए बजट देती है। आखिर ऐसा क्यों होता है यह सोचने की बात है? दर्द से पीडि़त मरीज आशा लेकर आता है कि वो सही हो जायेगा, लेकिन उसके साथ जो होता है वह उसे दुख पहुंचाता है। आप वादा करें कि आप जहां भी काम करेंगे वहां ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे।

मोमेंटो की जगह बुक्स दें

गवर्नर ने कहा कि छात्राओं ने छात्रों से ज्यादा मेडल जीते, जो महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण है। बच्चों को सब दिखाना होगा इसलिए दीक्षांत में बुलाना जरूरी होता है। मेडल क्यों मिले, कैसे पढ़े इससे प्रेरणा लेकर वो भी आगे बढ़ें। पुलिस थाना ले जाती हूं तो लोग कहते हैं क्यों जाती हैं आप तो गवर्नर हैं। मैं कहती हूं कि गवर्नर के तौर पर कहीं भी जा सकती हूं। बच्चे डरे नहीं और सुरक्षा को लेकर पुलिस की मदद मांगे ऐसा होना चाहिए। मुझे स्मृति चिन्ह के बजाय बुक्स दी जाएं। यह प्राइमरी स्कूल की लाइब्रेरी में रखवाई जाएंगी। इसके साथ उन्होंने लड़कियों से दहेज प्रथा के खिलाफ खुलकर विरोध करने की अपील की।

प्रतिष्ठा और ख्याति की उम्र ज्यादा

विशिष्ठ अतिथि मंत्री चिकित्सा शिक्षा सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इस संस्थान से अभी तक करीब तीस हजार से ज्यादा डॉक्टर पासआउट हो चुके हैं। डॉक्टर होना बड़े ही सौभाग्य की बात है। समय के साथ पेशेंट्स के व्यवहार में बदलाव आया है। डॉक्टरों को चाहिए कि वो भी समय के साथ खुद को बदलें। बढ़ती जनसंख्या के साथ डॉक्टर भी तीन-चार सौ पेशेंट्स देख रहे हैं इसलिए डॉक्टरों को धैर्य के साथ काम करना चाहिए।

जेनरिक दवाई एक्सपोर्ट कर रहे है

विशिष्ठ अतिथि डीजीएमई, आईसीएमएस प्रो। बलराम ने बताया कि आईटी, बॉलीवुड व मोबाइल की खूब बातें होती हैं, लेकिन डॉक्टरों के बेहतरीन कामों की कोई चर्चा नहीं होती है। आज डॉक्टर्स के कामों को प्रमोट करने की जरूरत है। इसके साथ इमरजेंसी मेडिसिन और बेहतर स्वास्थय सेवाएं सभी को देने की दिशा में और काम करना होगा। हम जेनरिक दवाईयों को एक्सपोर्ट भी कर रहे हैं। आज अमेरिका में 60 परसेंट से ज्यादा दवाई भारत से बनकर जा रही है।

स्कूली छात्र पहली बार हुये शामिल

दीक्षांत में तीन नए मेडल दिये गए। पहली बार डॉ। विनीता दास गोल्ड मेडल पीजी टॉपर्स पैथोलॉजी विभाग की डॉ। शालिनी को मिला। सायकेट्रिक एल्युमिनाई गोल्ड मेडल पीजी छात्र को मिला। नेत्र रोग विभाग में पीजी के मेधावी डॉ। स्वाति प्रियदर्शी को डॉ। गिरीश चंद्रा फाउंडेशन गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।

इनको भी मिला अवार्ड

डॉ। पुनीत प्रकाश, डॉ। सौरभ गुप्ता, डॉ। सागारिका महापात्रो, डॉ। समीर एम हालेगरी, डॉ। समर्थ अग्रवाल, डॉ। सौरव प्रधान, डॉ। परमिंदर सिंह मंघेरा, डॉ। ज्योति, डॉ। विकास जानू, डॉ। प्रतिभा सिंह, डॉ। शशांक कुमार, चंद्र मौली मिश्रा, सुगंधी शर्मा, डॉ। शिखा आनंद, डॉ। खुशबू पांडे, डॉ। रोहित कुमार सैनी, डॉ। उमेश चंद्र त्रिपाठी, डॉ। आकाश खंडेलवाल, डॉ। कुंतल कुमार सिन्हा, डॉ। निकिता पांडे, डॉ। नईम शरीफ , डॉ। चंद्र शेखर पांडे, डॉ। आशुतोष कपूर, डॉ। अभिलाषा सिन्हा, डॉ। तान्या दीक्षित, डॉ। बापी बर्मन, डॉ। अंजली सचान, डॉ। जयदेव एस, डॉ। कृष्ण कुमार चौबे, डॉ। नूपुर श्रीवास्तव, डॉ। स्वाति प्रियदर्शिनी, डॉ। अनामिका दास, डॉ। आफताब अहमद अंसारी, डॉ। निशांत कुमार, डॉ। शैफाली गोयल, डॉ। मिनाक्षी, मिस अंशु और डॉ। एसके दास को मेडल दिया गया।

1. गवर्नर मैम के हाथों मेडल पाकर बेहद खुश हूं। घर वालों से लेकर फ्रेंड्स सभी के मैसेज आ रहे हैं। आगे एमडी का एग्जाम देना है। लोगों को सही इलाज मिले इसके लिए ही काम करना है।

- आकर्षी गुप्ता, चांसलर मेडल

2. मेडल मिलने की खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं। पीजी में रेडियोलॉजी की तैयारी कर रही हूं क्योंकि सही डायग्नोसिस होगा तो ट्रीटमेंट भी अच्छे से किया जा सकेगा, जिससे पेशेंट्स को ही फायदा मिलेगा।

- डॉ। सना मोहसिन, हीवेट गोल्ड मेडल

3. मेडल मिलने से अच्छा काम करने का प्रोत्साहन मिलता है। आगे पीजी और हॉयर एजुकेशन करना है। पैरेंट्स का भी पूरा सपोर्ट है। हेल्थ के क्षेत्र में समाज को बेहतर दे सकूं इसपर काम करना है।

- डॉ। आशुतोष श्रीवास्तव, गोल्ड मेडल

4. फिलहाल वाराणसी में काम कर रही हूं। पापा का सपना था कि घर पर एक डॉक्टर हो जो हर किसी की सुन सके। आज वह साथ तो नहीं हैं, लेकिन उनका आशीर्वाद साथ है। ब्लड कैंसर में रिसर्च करना है ताकि इससे पीडि़त लोगों को इलाज में हेल्प मिल सके।

- डॉ। शालिनी सिंह, गोल्ड मेडल

5. अभी एम्स ऋषिकेश से एसआर कर रही हूं। कैंसर पेन रिलीफ को लेकर काम करना है। इस क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। पेशेंट को इलाज के दौरान आराम मिले यही सही इलाज का मतलब है।

- डॉ। ज्योति रावत, गोल्ड मेडल

6. गांव में इलाज की ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं इसलिए अपने गांव में लोगों को हफ्ते में एकबार फ्री में मेडिकल सुविधाएं देने का काम कर रहा हूं। फादर की किराने की शॉप है उनका ही सपना था कि मैं डॉक्टर बनकर गांव वालों की सेवा करूं।

- डॉ। सौरभ गुप्ता, एमडी, डीएम

7. बचपन से डॉक्टर बनने का सपना हो संजोए रखा था वह आज पूरा हो गया। हेल्थ सेक्टर में नए तकनीक के साथ बेहतर इलाज की बहुत संभावनाएं हैं। फैमिली का हर कदम पर मोटिवेशन बहुत काम आया है।

- डॉ। नजीम, गोल्ड मेडल

8. फरीदकोट में गवर्नमेंट हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर इन कार्डियोलॉजी के तौर पर काम कर रहा हूं। परिवार वालों को सपना पूरा करने में लगा हूं। ताकि हर तबके के लोगों को सही और बेहतर इलाज मिल सके।

- डॉ। परविंदर सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर

9. रांची की रहने वाली हूं। उधर के गांवों में हेल्थ की बेहतर सुविधाएं खासकर महिलाओं के लिए नहीं है इसीलिए पापा का सपना था कि मैं डॉक्टर बनकर उन लोगों की सेवा करूं ताकि हर कोई बेहतर इलाज उपलब्ध करवा सकूं।

- डॉ। शिखा आनंद, एमडी गोल्ड

10. मेहनत का फल मेडल के तौर पर मिलता है तो प्रोत्साहन मिलता है। मेरी पूरी फैमिली साथ है। सभी बेहद खुश हैं। गांव के आखिरी इंसान तक सभी मेडिकल सुविधाएं मिल सकें इसपर काम कर रहा हूं क्योंकि समाज को भी कुछ वापस करने का हमारा कर्तव्य है।

- डॉ। निशांत कुमार जायसवाल, डीजीएम एनएचएम

संस्थान के दीक्षांत में पहली बार स्कूली छात्रों भी शामिल हुये। गवर्नर के न्यौते पर सरस्वती विद्या मंदिर निरालानगर से प्राइमरी के 15 छात्र और 15 छात्राएं शामिल हुई। इसका मकसद बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम के दौरान सभी छात्रों को जूट बैग में बुक्स के साथ अन्य सामान दिये गये।

फोटो सेल्फी का चला दौर

दीक्षांत के समापन के बाद सभी अवार्डी बेहद लाइट मूड में नजर आये, जो अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ फोटो और सेल्फी लेने में लगे हुये थे। इस दौरान आपस में हंसी-मजाक का भी दौर चला। वहीं बच्चों की सफलता की खुशी परिजनों के चेहरों की रौनक बढ़ा रही थी।

ग‌र्ल्स ने मारी बाजी

एमबीबीएस की छात्रा सना मोहसिन को सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल के साथ कुल 10 गोल्ड, चार सिल्वर एक ब्राउंस व तीन कैश प्राइस पुरस्कार सहित कुल 18 मेडल मिले। वहीं आकर्षी को 16 गोल्ड, 4 सिल्वर, 2 बुक प्राइज और 3 कैश प्राइज सहित कुल 25 अवार्ड दिये गये, जिसमें केजीएमयू चांसलर व यूर्निवसिटी ऑर्नर मेडल भी शामिल हैं। बीडीएस में आशुतोष श्रीवास्तव को गोल्ड,एचडी गुप्ता व डॉ। गोविल गोल्ड मेडल मिला।

इनको मिले तीन नये मेडल

Posted By: Inextlive