रानी मुखर्जी को हमने पिछली बार मर्दानी में देखा था मर्दानी सही मायनों में एक परफेक्ट कमबैक फिल्म थी और वुमन एम्पावरमेंट के हिसाब से बेहतरीन सब्जेक्ट भी। उसके बाद से रानी को चार साल लग गए अपनी दूसरी फिल्म लाने के लिए शायद वो अपने लिए एक अच्छे कांसेप्ट का इंतज़ार कर रही थीं। हिचकी का कांसेप्ट अच्छा है पर ओवर आल फिल्म कैसी है आइये आपको बताते हैं।


कहानी अंग्रेज़ी फिल्म और किताब 'फ्रंट ऑफ द क्लास' का एडाप्टेशन ये फिल्म एक ऐसी टीचर क़ी कहानी है जिसको एक बड़े स्कूल में राइट टु एजुकेशन के तहत स्कूल में पढ़ रहे 'उज्जड़' बच्चों को पढ़ाने का काम दिया जाता है। समीक्षा


इस तरह की हर फिल्म की स्टोरी सेम ही होती है। कहने का मतलब  अंत सबको पता होता है इसलिए फिल्म को हमेशा सहारा चाहिए होता है। अपनी राइटिंग का जो अगर अच्छी हो तो फिल्म चिल्लर पार्टी, तारे ज़मीन पे या सीक्रेट सुपरस्टार बन जाती है और अगर नहीं तो वो प्रिडिक्टेबल और रूटीन हो जाती हैं। हिचकी के साथ भी यही समस्या है। पहली बात तो किरदार इतने क्लीशे और वनटोन हैं कि आप को किरदारों में ही कोई इंटरेस्ट नहीं आता। अगर किरदारों में ही आपका मन नहीं लगेगा तो फिल्म में मन लगना मुश्किल है। हिचकी आइडियल तरीक़े से दो फिल्मों में बनाई जानी चाहिए थी। पहला भाग उस लड़की की कहानी बताता जो टॉरेट सिंड्रोम से लड़ कर एक टीचर बनती है। दूसरा हिस्सा उसकी सोसाइटी में अमीर और गरीब बच्चों की अलग अलग दुनिया के अंतर को पाटने की कहानी है। दोनों ही कहानिया बढ़िया है पर एकसिक्यूशन बेहद रूटीन है और फिल्म एक वक्त पे आके एक प्रोपेगंडा फिल्म बन के रह जाती है। ऐसा नहीं है कि फिल्म में कुछ भी अच्छा नहीं है। रानी के हाथ आया किरदार और संवाद बेहद अच्छे हैं और यही फिल्म का हाईपॉइंट है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और पार्श्वसंगीत अच्छा है। अदाकारी  ये फिल्म शुरू से अंत तक रानी मुखर्जी शो है। हर सीन में रानी चमक के उभरती हैं। मुझे इस सिंड्रोम के बारे में ज़्यादा कुछ पता नहीं है इसलिए मैं रानी के सिंड्रोम हिस्से पे कोई कमेंट नहीं कर सकता पर फिर भी रानी ने बेहद अच्छा काम किया है जो उनके लिए कोई नई बात नहीं है। फिल्म के बाकी किरदार बड़े स्टीरियोटाइप हैं और अपनी अदाकारी से इम्प्रेस नहीं करते, इसमे जैसा कि मैंने पहले कहा की अदाकारों की गलती न होकर खराब लिखे किरदारों की गलती है। वर्डिक्ट  ओवरआल हिचकी एक अच्छे सब्जेक्ट पे बनी एक बेहद साधारण फिल्म है जो मनोरंजन और इंटेंसिटी दोनों ही के हिसाब से वीक है। एजुकेशन सिस्टम की खामियां तो फिल्म में दिखती हैं पर ये फिल्म अपना मेसेज ठीक से कॉन्वे नहीं कर पाती, पर फिर भी रानी मुखर्जी और सिर्फ रानी मुखर्जी के लिए एक बार देख सकते हैं, हिचकी। Rating : 2.5 स्टार

Yohaann Bhaargava

Twitter : yohaannn मूवी रिव्यू बा बा ब्लैक शीप: इधर-उधर भागती हुई कहानी जिसे समझना मुश्किल हैयहां कटरीना कैफ की पापुलैरिटी से मात खा गईं बाकी बॉलीवुड एक्ट्रेसेज

Posted By: Vandana Sharma