दिल्ली-हावड़ा ट्रैक पर ट्यूजडे मॉर्निंग से भले ही ट्रेनें दौडऩे लगी हों लेकिन कालका हादसे के बाद एक सवाल कॉमन मैन को मुंह चिढ़ा रहा है.


वो ये कि आखिर इस हादसे की वजह क्या थी? क्या रीजन था जिसने ताश के पत्तों की तरह पूरी ट्रेन को बिखरा कर 69 लोगों की जान ले ली। यह किसी इंसान की गलती थी या मशीन का धोखा? अब तक कुछ क्लियर नहीं है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से लेकर एनसीआर के जीएम एचसी जोशी तक घटना के प्राइमाफेसी रीजन नहीं बता पा रहे हैं। कालका मेल के ड्राइवर व गार्ड भी घटना के सही कारणों की जानकारी होने से इन्कार कर रहे हैं। डिपार्टमेंट में ऊपर से नीचे तक की  चुप्पी सवाल खड़ा कर रही है कि कहीं हादसे की वजहों पर पर्दा तो नहीं डाला जा रहा.

कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा है?

रेलवे के किसी भी एक्सीडेंट में जब जनहानि होती है तो उसकी जांच कमिश्नर रेलवे सेफ्टी को सौंप दी जाती है लेकिन उससे पहले घटना के प्रथम कारणों के बारे में ऑफिसर्स बता देते हैं। कालका मेल हादसे के बाद कोई भी ऑफिसर जुबान खोलने को तैयार नहीं है। सभी के पास एक ही जवाब है और वो है सीआरएस इंक्वायरी। ऑफिसर्स कहते हैं कि इंक्वायरी के बाद ही घटना के कारणों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। अब तक यही देखा गया है कि रेलवे में छोटी-बड़ी गलती में शुरुआती लेवल पर जो जिम्मेदार होता था उसको तुरंत सस्पेंड कर दिया जाता था लेकिन कालका हादसे के बाद ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

Report  तक  नहीं  लिखी

रेलवे एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरह के एक्सीडेंट में इंक्वायरी के दौरान ट्रैक और पहियों के अलग होने की जगह की पहचान की जाती है। यानी जिस जगह से पहिया ट्रैक से उतरा है? उस जगह की तलाश की जाती है। भीषण से भीषण हादसे में भी वह जगह मिल जाती है। इसको प्वाइंट ऑफ माउंट (पहिए के चढऩे का प्वाइंट) और प्वाइंट ऑफ ड्रॉप (ट्रैक से उतरने का प्वाइंट) कहते हैं। घटनास्थल पर रेलवे अफसरों ने ये दोनों प्वाइंट मिलने की बात से ही इन्कार किया है। हादसे के बाद इतनी तेजी से काम हुआ कि उसका मिलना अब मुमकिन भी नहीं है। इतनी बड़ी तादाद में मौत होने पर पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। लास्ट ईयर पनकी में हुए प्रयागराज एक्सीडेंट मामले में पनकी थाने में पीछे वाली ट्रेन के ड्राइवर के अगेंस्ट मामला दर्ज कर किया गया था। कालका मेल ठीक मलवां स्टेशन पर दो सिग्नल के बीच हादसे का शिकार हुई है। ये एरिया जीआरपी के अंडर में पड़ता है लेकिन अब तक जीआरपी ने भी इस घटना की एफआईआर नहीं लिखी है। इस बारे में पूछने पर जीआरपी के एसपी तो खुद यह पूछते हैं कि जब तक रेलवे अफसर ये नहीं बताएंगे कि आखिर इतना बड़ा हादसा किसकी गलती से हुआ, तब तक एफआईआर कैसे लिखी जा सकती है? ये बयान ही अपने आप में दाल में कुछ काला होने के संकेत दे रहा है। रेलवे अफसरों का यही रुख इस बात की ओर इशारा करता है कि जरूर कुछ छिपाया जा रहा है.

Posted By: Inextlive