इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर याचिका की खारिज

सुप्रीम कोर्ट आलरेडी फैसला कर चुका है कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है। इस फैसले को बदलने का कोई कारण नहीं हो सकता। इन्हीं तर्को के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनता इंटर कॉलेज अमरोहा के अर्थशास्त्र प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति में आरक्षण देने को रद कर दिया है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत प्रोन्नति में आरक्षण अवैध है।

इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अरुण टण्डन तथा जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने कहा कि हीरालाल केस की पूर्णपीठ के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि पांच पद रिक्त होने पर ही एससी-एसटी आरक्षण दिया जा सकता है। इस केस में इस नियम का उल्लंघन किया गया है। इसलिए कोर्ट ने रिजनल कमेटी को चार हफ्ते में नियमानुसार प्रोन्नति पर योग्य अभ्यर्थियों को अवसर देते हुए विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

अपील का कारण

जनता इंटर कॉलेज अमरोहा के अर्थशास्त्र प्रवक्ता ने दाखिल की थी विशेष अपील

अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी का कहना था कि याची से दो वरिष्ठ अध्यापक प्रोन्नति होने तक सेवानिवृत्त हो गये थे

ऐसे में प्रोन्नति को नियमानुसार गलत नहीं माना जा सकता

कोर्ट ने कहा

अधिवक्ता के इस तर्क को नहीं माना जा सकता

उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा नियमावली के नियम 14 में दी गई व्यवस्था का पालन होना चाहिए

हीरालाल केस की पूर्णपीठ के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि पांच पद रिक्त होने पर ही एससी-एसटी आरक्षण दिया जा सकता है

लिहाजा रिजनल कमेटी को चार हफ्ते में नियमानुसार प्रोन्नति पर योग्य अभ्यर्थियों को अवसर देते हुए निर्णय ले

इन राज्यों के हाई कोर्ट ने दिए फैसले

महाराष्ट्र

मध्य प्रदेश

उत्तर प्रदेश

आरक्षण स्टेटस

एससी- 15 फीसदी

एसटी-7.5 फीसदी

केन्द्र सरकार कर रही विचार

इस साल के शुरू में सुप्रीम कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रमोशन में आरक्षण को समाप्त कर दिया था। केन्द्र सरकार खुद भी इससे सहमत नहीं है क्योंकि अभी नीचले वर्ग के कर्मचारियों का कोटा फुल नहीं हो सका है। सरकार ने इस पर फैसला लेने के लिए कमेटी का गठन कर रखा है। इसके बाद सरकार कानून बनाकर इसे लागू कर सकती है।

Posted By: Inextlive