लोक संस्कृति की धरोहर ने लोगों का मन मोहा

बच्चों ने प्रस्तुत की लोकनृत्यों की श्रृंखला

ALLAHABAD: माटी की सोंधी खुशबू व लोक संस्कृति से जोड़ने वाली लोक नृत्यों की कार्यशाला का समापन रविवार को समारोह पूर्वक हुआ। जिसमें बच्चों ने नृत्यों के जरिये लोक संस्कृति व संस्कारों की अलग ही छाप छोड़ी। जिसका लोगों ने भरपूर आनंद लिया और अपनी लोक संस्कृति को करीब से देखा व समझा।

मेयर ने किया उदघाटन

एनसीजेडसीसी सभागार में रविवार को लोकनृत्यों की कार्यशाला धरोहर के समापन समारोह का उद्घाटन मेयर अभिलाषा गुप्ता, गंगा सेना के अध्यक्ष आनंद गिरी महाराज, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा, लोकविद लल्लन गहमरी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। धरोहर की निर्देशिका सोनाली चक्रवर्ती ने अतिथियों का स्वागत किया।

एक महीने तक लोकनृत्यों की श्रृंखला सीखने के बाद बच्चों ने शिव स्तुति व गणेश वंदना के साथ समारोह का शुभारंभ किया। इसके बाद दीप नृत्य-जगदम्बा घर में दियारा बार आएंगे प्रस्तुत किया। ईश वंदना के बाद मौसम के बदले हुए मिजाज के बीच कजरी 'पिया मेहंदी लिया द मोती झील से' पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं संस्कार गीत पर संस्कारों की नृत्यशाला प्रस्तुत की। कटाई गीत 'गेहूं, चना पाकल' पर प्रस्तुत भाव नृत्य ने लोगों को खेत-खलिहान के किनारे पहुंचा दिया। वहीं सावन गीत- हरी हर कुर्ती मा। पर प्रस्तुत लोकनृत्य ने सावनी फुहार का आनंद दिलाया।

Posted By: Inextlive