- सितंबर 2012 में जारी हुआ था आदेश, पिछली व्यवस्था होगी लागू, सरकार को कानून बनाने की छूट

NANITAL: हाई कोर्ट ने एसटी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के आदेश पर रोक लगाने संबंधी शासनादेश निरस्त कर दिया है. साथ ही पदोन्नति में आरक्षण को लेकर पिछली व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए हैं. हालांकि कोर्ट ने सरकार को यह छूट जरूर दी है कि वह चाहे तो संविधान के अनुच्छेद-16 (अ) के अंतर्गत कानून बना सकती है. कोर्ट के फैसले से इस मसले पर आरक्षित वर्ग के कर्मचारी संगठनों के निशाने पर रही सरकार को बड़ी राहत मिली है.

हाई कोर्ट ने शासनादेश किया निरस्त

रुद्रपुर निवासी ज्ञान चंद्र ने याचिका दायर कर सितंबर 2012 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में दिए गए शासनादेश को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के निर्णयानुसार, एससी-एसटी कोटे में आरक्षण के लिए उनका पिछला बायोडाटा खंगालने की जरूरत नहीं है, मगर सरकार ने सेवानिवृत्त जस्टिस इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर पदोन्नति में आरक्षण के लिए उनका बायोडाटा देखने की आवश्यकता समझी. मंडे को इस मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगाने संबंधी शासनादेश निरस्त कर दिया. कोर्ट ने साफ किया है कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर पूर्व में जारी शासनादेश भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी हो और उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्रहण किया गया हो, मगर वही लागू होंगे.

Posted By: Ravi Pal