-हाई कोर्ट में टिप्पणी वापस लेने की पूर्व सांसद ने दी है अर्जी

याचिका वापसी की याची की अर्जी पर भी सुनवाई हुई पूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स हमला मामले में आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद की अर्जी व याचिका वापस लेने की याची की अर्जी पर दोनों पक्षों की लम्बी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। अतीक की तरफ से यह कहा गया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी के चलते उसे परेशानी उठानी पड़ी है। जमानतीय अपराध में जमानत नहीं मिली तथा राज्य सरकार ने 13 आपराधिक मामलों में मिली जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है। उन्होंने अखबार खबर के आधार पर कोर्ट की टिप्पणी का हवाला दिया।

जमानत निरस्त करने की 13 अर्जी

कोर्ट का कहना था कि याची की बहस व राज्य सरकार द्वारा पेश तथ्यों के धार पर कोर्ट ने जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने सरकार को ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। वरन सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले का जिक्र किया जिससे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत के बाद लगातार अपराध करने वाले की जमानत इसी आधार पर निरस्त की जानी चाहिए। जमानत पर छूटने के बाद अपराध करने वाले को जमानत न देना कई जिंदगियों को बचाने जैसा है। जो भी कार्यवाही की, राज्य सरकार ने की। यदि कोर्ट के किसी आदेश में ऐसे निर्देश हो तो बतायें।

चीफ जस्टिस की बेंच कर रही सुनवाई

राम किशन सिंह की याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस यशवन्त वर्मा की की खण्डपीठ कर रही है। राज्य सरकार के अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने बताया कि सभी 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। एक शस्त्र बरामद हुआ है, दो शस्त्र की तलाश चल रही है। मामले की विवेचना जारी है। बैलेस्टिक रिपोर्ट मंगायी गयी है। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अर्जी से परिवार का जिक्र करने को दबाव में माना और कहा कि यदि किसी पर हत्या जैसे चार अपराध दर्ज हों और वह अपराध करता रहे तो सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए। कोर्ट के समक्ष विवेचना ठीक से न होने व सुरक्षा के सवाल उठाये गये जिस पर कोर्ट ने विवेचना की प्रगति की जानकारी मांगी। कहाकि, सरकार की तरफ से पेश किये गये तथ्यों पर जानकारी मंगाना अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत कोर्ट को अधिकार प्राप्त है।

Posted By: Inextlive