कहा, हाईकोर्ट का अधिकार है न्यायिक अधिकारियों की तैनाती

राज्य सरकार को प्रस्तावित नाम मंजूर नहीं तो असहमति का कारण बताए

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात सदस्यीय पीठ ने प्रदेश में प्रमुख सचिव न्याय की नियुक्ति न होने पर शुक्रवार को राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की। अधिकार पर सवाल खड़े किए और यह भी पूछा कि राज्य सरकार को इस पद के लिए हाईकोर्ट से प्रस्तावित नाम पर ऐतराज क्यों है? राज्य सरकार की तरफ से पांच नाम मांगने के 25 फरवरी के पत्र को हाईकोर्ट की नौ न्यायाधीशों की प्रशासनिक कमेटी ने निरस्त कर दिया है और राज्य सरकार को तत्काल प्रमुख सचिव की नियुक्ति का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट से प्रस्तावित नाम मंजूर नहीं

चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पद के लिए सचिवालय में ही कार्यरत न्यायिक अधिकारी रंगनाथ पांडेय का नाम प्रस्तावित किया था, किंतु इस संस्तुति पर ध्यान दिए बगैर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से पांच न्यायिक अधिकारियों के नाम मांग लिए हैं। इसी में से एक को प्रमुख सचिव न्याय नियुक्त किया जाएगा।

2 मार्च तक टाइट हो जाएगी सिक्योरिटी

महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुरक्षा उपकरणों के साथ सुरक्षा बलों की 2 मार्च तक तैनाती हो जाएगी और सीसीटीवी भी क्त्रियाशील हो जाएंगे। कोर्ट ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय को डिजिटिलाइजेशन कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस दिलीप गुप्ता के नियमित संपर्क में रहने का निर्देश दिया है। 13 मार्च को होने वाले हाईकोर्ट के 150वें स्थापना दिवस समारोह से पूर्व सुरक्षा कड़ी किए जाने का सरकार ने आश्वासन दिया है।

कोर्ट ने कहा

न्यायिक अधिकारियों की तैनाती का अधिकार हाईकोर्ट को

कोई एक नाम राज्य सरकार को भेजा जाता है और सरकार सहमत नहीं है तो असहमति का कारण बताए, ताकि दूसरा नाम भेजा जा सके

राज्य सरकार प्रमुख सचिव न्याय का पद खाली रहने के लिए हाईकोर्ट को कटघरे में नहीं खड़ा कर सकती

सरकार मनमानी करना चाहती है तो वह आइएएस अधिकारियों को रख ले

कोर्ट अपने न्यायिक अधिकारियों को वापस लेने में संकोच नहीं करेगी

Posted By: Inextlive