- पौड़ी के कोटद्वार के जेंडर चेंज कर महिला बनने वाली का मामला

- पुलिस ने धारा-376 के बजाय अप्राकृतिक यौन शोषण की धारा-377 के तहत मुकदमा किया था दर्ज

- हाईकोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में मांगा जवाब

NAINITAL: ट्रांसजेंडर के यौन उत्पीड़न का मुकदमा धारा-376 (दुष्कर्म) के बजाय 377 (अप्राकृतिक यौन शोषण) में दर्ज करने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने मामले में सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

शादी का झांसा देकर दुराचार

दो साल पहले एक ट्रांसजेंडर ने पौड़ी के कोटद्वार थाने में तहरीर दी थी। बताया कि वह और कोटद्वार के अरविंद जोशी मुंबई के फाइव स्टार होटल में साथ-साथ काम करते थे। दोनों के बीच प्रेम-प्रसंग चल रहा था। इस दौरान पीडि़त ने अपना जेंडर चेंज कर लिया और महिला के रूप में रहने लगा। कोटद्वार निवासी अरविंद ने एक दिन उसे शादी के बहाने उसे बुलाकर उसके साथ दुराचार किया। मामले में पुलिस ने धारा-376 के बजाय अप्राकृतिक यौन शोषण की धारा-377 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया। यहां तक कि लिंग बदलने के बाद भी पुलिस ने उसे महिला मानने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने नालसा बनाम सरकार से संबंधित फैसले में ट्रांसजेंडर को मान्यता प्रदान की है। फैसले के आधार पर उसे महिला के समान अधिकार प्राप्त हैं, इसलिए उसकी प्राथमिकी धारा-376 में दर्ज की जानी चाहिए, न कि 377 में। न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने सोमवार को मामले को सुनने के बाद सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

Posted By: Inextlive