नगर निकायों के निवर्तमान सदस्यों को चुनाव तक पद पर बने रहने का मौका देने से हाई कोर्ट ने किया इंकार

प्रशासकों की नियुक्ति की वैधता पर सुनवाई 16 को

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करने की 15 जुलाई 2017 को जारी सरकारी अधिसूचना की वैधता की चुनौती याचिका की सुनवाई 16 अगस्त की तिथि तय की है। कोर्ट ने निकायों में कार्यरत मेयर व अध्यक्षों को नये चुनाव तक पद पर बने रहने की अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि निकाय कार्यकारिणी का पांच साल पूरा होने के बाद पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। फिलहाल इस मुद्दे पर 16 अगस्त को सुनवाई होगी।

संविधान के विपरीत प्रशासक नियुक्ति

यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस एमके गुप्ता की खंडपीठ ने झूंसी नगर पंचायत अध्यक्ष रामलखन यादव की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एनके पांडेय एवं सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 83 (2) एवं अनुच्छेद 243 (यू) की भाषा एक जैसी है। संसद का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार कार्यवाहक के रूप में नया चुनाव होने तक काम करती रहती है तो स्थानीय निकाय की कार्यकारिणी को कार्यकाल पूरा होने के बाद नये चुनाव तक कार्यकारी रूप से पद पर बने रहने का अधिकार है। सरकार द्वारा मेयरों व अध्यक्षों को हटाकर प्रशासक नियुक्त करना संविधान के विपरीत है।

सरकार का जवाब

अपर महाधिवक्ता गोयल का कहना था कि अनुच्छेद 243 (यू) के अंतर्गत स्थानीय निकाय का पांच साल कार्यकाल पूरा होने के बाद मेयर व अध्यक्षों को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है

सरकार की अधिसूचना संविधान के अनुरूप एवं वैधानिक है

सरकार ने क्योंकि सितंबर अक्टूबर में दीवाली, दशहरा त्योहार के कारण नवंबर में निकाय चुनाव कराने की योजना तैयार की है

कोर्ट का कथन

कोर्ट का कहना था कि वह सरकार को 30 नवंबर तक चुनाव पूरा करने का आदेश दे सकती है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत कार्यकाल समाप्ति के बाद मेयर या अध्यक्ष को पद पर बने रहने का अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता

Posted By: Inextlive