सहायक अभियंता की प्रोन्नति निरस्त करने का सचिव का आदेश हाई कोर्ट ने किया निरस्त

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नगर निगम इलाहाबाद के सहायक अभियंता को जूनियर इंजीनियर पद पर पदावनति देने के शहरी विकास विभाग के सचिव के 15 अप्रैल 96 को पारित आदेश को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है और कहा है कि याची सेवाजनित समस्त परिलाभों का भुगतान पाने का हकदार है। कोर्ट ने कहा है कि कनिष्ठ अभियंता पद से सहायक अभियंता पद पर प्रोन्नति के लिए 10 वर्ष की सेवा की गणना करने में गलती की गयी। सेवा नियमावली के तहत तदर्थ, अस्थायी सेवाओं को भी अनुभव वर्ष की गणना में शामिल किया जायेगा जिसकी अनदेखी करते हुए याची की प्रोन्नति को निरस्त कर कनिष्ठ अभियंता पद पर पदावनति दी गयी। जो नियमानुसार नहीं है।

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यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस एसबी सिंह की खंडपीठ ने ऐश नंदन सिंह मृत याची की पत्‍‌नी श्रीमती राजकुमारी सिंह की याचिका की मौत के बाद उसकी पदोन्नति को सही ठहराते हुए सेवाजनित समस्त परिलाभों के भुगतान का निर्देश दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पीपी चौधरी ने बहस की। मालूम हो कि मुख्य नगर आयुक्त नगर महापालिका इलाहाबाद ने याची की 11 दिसंबर 70 को आबरस्पीयर पद पद अस्थायी नियुक्ति की। इसके बाद उसे 7 मई 73 में 72 अन्य के साथ अधीक्षक (ड्राफ्टमैन) पद पर अस्थायी रूप से नियुक्ति की गयी। इसके बाद 28 जनवरी 87 को सहायक अभियंता पद पर तदर्थ प्रोन्नति दी गयी। किन्तु 15 अप्रैल 96 को तदर्थ प्रोन्नति निरस्त कर पदावनति दी गयी जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा अस्थायी तदर्थ सेवा काल को भी 10 साल के अनुभव में जोड़ा जाना चाहिए था।

Posted By: Inextlive