हाई कोर्ट ने प्रदेश के रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) विभाग में तीन साल से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने में गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सचिव वित्त एवं राजस्व को मूल पत्रावली मंगाकर वास्तविक कार्याविधि की जांच कर एक माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सचिव से नियमित किये गये कर्मियों की सूची भी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की विशेष अपील पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नियम 4 (1) के तहत तीन साल से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित किया जा सकता है। तीन वर्ष कार्य की अवधि में यदि बनावटी सेवा अवरोध आया हो तो लगातार सेवा माना जायेगा। कोर्ट ने खगेश कुमार केस के फैसले का हवाला दिया और कहा कि 8 अक्टूबर 1986 के पहले से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी जिन्होंने 7 अक्टूबर 89 तक तीन साल लगातार कार्य किया हो, को नियमित होने का अधिकार है। उन्हीं को नियमित किया जा सकेगा जो पद की योग्यता रखते हों। शिकायत है कि कई अपात्रों को नियमित कर लिया गया और पात्र दैनिक कर्मी बाहर रह गये। इसे उचित नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने सचिव से कहा है कि सेवा पत्रावली तलब कर वास्तविक कार्य अवधि की जांच करें तथा देखें कि नियमित हुए कर्मी 7 अक्टूबर 89 को पद पर नियुक्ति की योग्यता रखते थे या नहीं। यह कार्यवाही एक माह में पूरी कर कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें।

Posted By: Inextlive