-कूड़ा निस्तारण और बायो मेडिकल वेस्ट पर हाईकोर्ट में पेश हुए नगर आयुक्त

-नगर में बताए 310 हॉस्पिटल और कुल 420 किलो वेस्ट

-हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, 13 मार्च को सही साक्ष्यों के साथ किया तलब

Meerut: भ्रामक साक्ष्य प्रस्तुत करने पर हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त को जमकर फटकार लगाई है। शहर की बदहाली और कूड़ा निस्तारण कार्यक्रम को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दाखिल की गई याचिका पर बुधवार हाईकोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चंद्रचूड़ ने नगर आयुक्त द्वारा शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत किए गए भ्रामक तथ्यों पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इसके साथ ही 13 मार्च को सही तथ्यों के साथ नगर आयुक्त को दोबारा पेश होने के आदेश दिए हैं।

ये है मामला

दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने शहर में गंदगी और बदहाली को लेकर छह नवंबर 2015 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में आरटीआई कार्यकर्ता ने शहर की आबादी के हिसाब से सफाई कर्मियों की संख्या में कमी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और बायो मेडिकल वेस्ट प्रोग्राम लागू न होने को लेकर नगर निगम, एमडीए, कमिश्नर व पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को पार्टी बनाया था। इस पर कोर्ट ने 13 जनवरी की तारीख मुकर्रर की थी, जिसमें नगर आयुक्त को तलब कर तथ्य प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

420 किलो बायो मेडिकल वेस्ट

हाईकोर्ट में नगर निगम की ओर से जो जवाब दाखिल किया गया। उसे कोर्ट ने भ्रामक बताया है। आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने बताया कि सुनवाई के दौरान निगम के ओर से बताया कि शहर में कुल 310 हॉस्पिटल्स, जिनसे रोजाना 420 किलो बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। इस हिसाब से एक हॉस्पिटल से रोजाना 1.3 किलो वेस्ट ही निकलता है। इस पर लगी आपत्ति पर कोर्ट ने जवाब को भ्रामक बताया है।

पकड़ा गया झूठ

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रदीप सिंह सिसौदिया ने बताया कि निगम द्वारा कोर्ट में पहले दाखिल की गई रिपोर्ट वर्तमान रिपोर्ट से बिल्कुल अलग है। पहले निगम ने शहर में 300 किलो प्रति घंटा के हिसाब से बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की बात कही थी। इस रिपोर्ट में निगम रोजाना कुल 420 किलो बायो मेडिकल वेस्ट की बात बता रहा है। निगम द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई दोनों रिपोर्ट अलग-अलग हैं।

सीएमओ और पॉल्यूशन विभाग तलब

कोर्ट में सुनवाई के दौरान निगम की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए सीएमओ और पॉल्यूशन विभाग को जिम्मेदार बताया। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने शहर में सभी हॉस्पिटल और नर्सिग होम्स को नगर निगम का लाइसेंस प्राप्त बताया। अधिवक्ता ने अपनी दलील में कहा कि निगम लाइसेंस शुल्क के रूप में इन हॉस्पिटल्स से राजस्व लेता है। इस लिए यह जिम्मेदारी भी निगम की ही बनती है। कोर्ट ने इस पर सीएमओ और पॉल्यूशन विभाग को भी तलब किया है।

नगरायुक्त का बयान आना बाकी है

Posted By: Inextlive