हरी सब्जियां खाएं, पैसा भी बचेगा, फिट भी रहेंगे
-मुंडेरा मंडी सील होने का दिखने लगा असर, आलू का फुटकर भाव 22 रुपए तक पहुंचा
-किसानों का बुरा हाल, मजबूरी में औने-पौने दाम पर बेच रहे सब्जियां -थोक व्यापारियों ने इस स्थिति के लिए प्रशासन के रवैए को बताया जिम्मेदारALLAHABAD: पहले से ही बेतरतीब महंगाई से जूझ रही आम जनता के लिए बुरी खबर है। अब उसे खाने की थाली में सब्जी परोसने के लिए पहले से अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे। मुंडेरा मंडी में माल रखने की जगह न मिलने के चलते आलू-प्याज, लहसुन-अदरक के दाम तक चढ़ गए हैं। बुधवार को थोक भाव में जी फोर आलू 1900 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया तो प्याज भी पीछे-पीछे 1600 रुपए के आंकड़े को छूने लगी। ले-देकर हरी सब्जियों का भाव थोड़ी राहत देने वाला है लेकिन वह भी तब जबकि किसानों से इसे सीधे खरीदा जाय। ठेले वाले अब भी टमाटर 16 से 20 रुपए प्रतिकिलो के भाव बेच रहे हैं।
आलू से लेकर प्याज तक महंगा हुआसात मई को चुनाव खत्म होने के बाद ईवीएम को रखे जाने के बाद मुंडेरा मंडी से थोक व्यापारियों को बाहर निकाल दिया गया। माल डंप करने वाले व्यापारियों को सड़ने का अंदेशा हुआ तो उन्होंने बाहर से आने वाले माल को रोकवा दिया। जल्द खराब होने वाला माल सस्ते में निकाल दिया और अब शार्टेज के बहाने मनमाने तरीके से कीमतें बढ़ाने लगे हैं। 7 मई को आलू 11 से 13 सौ रुपए क्विंटल के भाव था और आज यह 16 से 19 सौ के आंकड़े को छू गया। प्याज, लहसुन, अदरक के साथ भी यही हुआ है। थोक व्यापारियों ने एक गणित और किया है कि किसानों से माल की सप्लाई लेनी बंद कर दी है। अब किसान की मजबूरी है कि वह किसी भी कीमत पर अपना माल या तो निकाले या घर लेकर जाए। इससे मंडी पहुंचने वालों को तो हरी सब्जियां सस्ती मिल जाएंगी लेकिन फुटकर विक्रेताओं के पास पहुंचने के बाद इनका तेवर भी बदल जाता है।
कहां कितनी महंगाई सब्जी पुराना रेट नया रेट (दाम रुपए प्रति किलो में फुटकरर) आलू 16 22 प्याज 16 20टमाटर 10 16
अदरक 140 180 लहसुन 40 80 कटहल 25 40 मिर्चा 20 40 क्यों बढ़ रहे हैं रेटदरअसल, 16 मई को लोकसभा इलेक्शन की काउंटिंग जिले की सबसे बड़ी मुंडेरा मंडी में होनी है। इसके चलते जिला प्रशासन ने ईवीएम को वहां भारी सुरक्षा में रखवाया है। इसके चलते मंडी सील कर दी गई है। पहले मंडी में आधी जगह व्यापारियों को इस्तेमाल के लिए दे दी जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। व्यापारियों का आरोप है कि बिना पूर्व सूचना के ही मंडी सील कर दी गई है। इसी के आधार पर उन्होंने नए माल की आवक पर रोक लगा दी है। इससे बक्शी बाजार, खुल्दाबाद, फाफामऊ, बैरहना और नैनी सब्जी मंडियों में माल की सप्लाई कम हो गई है।
हरी सब्जियों में फिलहाल रियायत एक ओर सूखी सब्जियों के दामों में आग लगने लगी है तो दूसरी ओर मौसम की हरी सब्जियों के रेट राहत देने वाले हैं। यह इसलिए है क्योंकि लोकल किसान अपना माल लेकर मंडी में आते हैं। उनकी मजबूरी यह होती है कि हर हाल में माल निकालकर जाएं। पहले उसे थोक व्यापारी खरीद लेते थे और अपने हिसाब से रेट तय करके निकालते थे। अब उनके पास रखने के लिए जगह नहीं बची है इसलिए पूरा घाटा उन्हीं के मत्थे मढ़ दिया गया है। किसान के पास न तो वेस्ट करने के लिए पूरा दिन है और न ही मोहल्ले-मोहल्ले जाकर ग्राहक खोजना। इसके चलते उन्होंने औने-पौने दामों पर अपना माल निकालना शुरू कर दिया है। इसी का नतीजा है कि मुंडेरा में बुधवार को बेहतर क्वालिटी का टमाटर 10 रुपए किलो बिका। हरी सब्जियां वर्तमान भाव नेनुआ 08 रुपए किलो भिंडी 15 रुपए किलो करेला 15 रुपए किलो टमाटर 10 रुपए किलो पालक/चौराई 0भ् रुपए गड्डी लौकी 0भ् रुपए पीस कोहड़ा 0भ् रुपए पीस हरा मिर्च ख्0 रुपए किलोगोभी क्0 रुपए पीस
शहर के बाहर भी दिखेगा असर व्यापारियों की मानें तो मुंडेरा मंडी से देहात की मंडियों के साथ आसपास के जिलों में भी सप्लाई जाती है। इसलिए वहां भी दाम उछलेंगे। लोकल किसान जरूर सब्जियां सप्लाई कर रहे हैं लेकिन डिमांड के मुकाबले उनका रेशियो काफी कम है। यह स्थिति कम से कम क्8 तक रहेगी। इसके बाद रेट थोड़े काबू में आएंगे। क्या करें मजबूरी है सड़क पर सब्जी बेच रहे मुंडेरा मंडी के व्यापारियों में इस समय जबरदस्त नाराजगी है। उनका कहना है कि पहले का स्टॉक सड़ने लगा था। उसे निकाल रहे हैं। नया स्टॉक नहीं आ रहा है इसलिए कुछ चीजों के दाम बढ़ हैं। बाहर के व्यापारियों ने यहां आना बंद कर दिया है। मुंडेरा सब्जी मंडी के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा ने किसानों से काउंटिंग के चलते क्भ् और क्म् मई को माल नहीं लाने की अपील की है। खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा जिला प्रशासन की बेरुखी और मंडी समिति पदाधिकारियों की उदासीनता के चलते लाखों का नुकसान उठा चुके व्यापारियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है। मुंडेरा सब्जी मंडी के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा ने सचिव पर लापरवाही बरतने का सीधा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि व्यापारियों को नोटिस नहीं मिलने से यह स्थिति पैदा हुई है। मंडी के किराए और लाखों नुकसान की भरपाई के लिए व्यापारी सचिव के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।