- हाई कोर्ट के आदेश, बॉन्ड साइन कर सब्सिडाइज फीस पर एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर्स को पहाड़ में दो तैनाती

- जो ज्वाइनिंग से करे आना-कानी उससे 18 परसेंट ब्याज सहित वसूली जाए पूरी फीस

नैनीताल: बॉन्ड भरकर सरकारी मेडिकल कॉलेजेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर पहाड़ में नौकरी करने से बच रहे डॉक्टरों को हाई कोर्ट ने झटका दिया है। हाई कोर्ट ने उन्हें बॉन्ड का पालन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार को 6 सप्ताह में इन डॉक्टर्स को पहाड़ में नियुक्ति देने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि जो डॉक्टर बॉन्ड का पालन न करें उनसे फीस की पूरी वसूली की जाए। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर सरकार की विशेष अपील को निस्तारित कर दिया है।

ज्वाइनिंग नहीं तो ब्याज सहित फीस वसूली

बुधवार को चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने एकलपीठ के 10 डॉक्टर्स से संबंधित आदेशों के खिलाफ सरकार की ओर से दायर विशेष अपील पर सुनवाई की। निर्देश दिए कि इन डॉक्टर्स को 6 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं। सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता(सीएससी) परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल कॉलेजेज द्वारा प्रोस्पेक्टस में साफ तौर पर उल्लेख किया था कि जो स्टूडेंट सरकारी कोटे में प्रवेश ले रहे हैं, उनको उत्तराखंड में सेवा के लिए 5 साल का बॉन्ड साइन करना होगा, उन्हें तभी फीस में छूट दी जाएगी। जो बॉन्ड साइन नहीं करना चाहते, उन्हें पूरी फीस भरनी होगी। सीएससी ने दलील दी कि अब ये डॉक्टर्स न तो सेवाएं दे रहे हैं, और न ही फीस लौटा रहे हैं। खंडपीठ ने सरकार की विशेष अपीलें स्वीकार करते हुए सरकार से 6 सप्ताह में नियुक्ति पत्र जारी करने को कहा है। साथ ही साफ किया कि जो डॉक्टर्स ज्वाइन नहीं करेंगे, उन्हें सब्सिडाइज्ड फीस घटाते हुए सरकार को बिना सब्सिडी वाली शुल्क की धनराशि 18 परसेंट ब्याज के साथ वापस लौटानी होगी।

Posted By: Inextlive