- उत्तराखंड दिव्यांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सैनिक आरक्षण एक्ट के सेक्शन-दो को असंवैधानिक ठहराया

-चम्पावत के डीएम को निर्देश-स्वतंत्रता सेनानी की बेटी के पुत्र को जारी करें आश्रित प्रमाण पत्र

NAINITAL: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की बेटी के बच्चों को भी स्वतंत्रता सेनानी आश्रित मानते हुए उत्तराखंड दिव्यांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सैनिक आरक्षण एक्ट के सेक्शन-दो को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने डीएम चम्पावत को निर्देश दिए हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की बेटी के पुत्र को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का प्रमाण पत्र जारी करें। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बेटियों की संतानें भी आरक्षण के दायरे में आ गई हैं।

हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में सावित्री देवी बोरा ने याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दिव्यांग, पूर्व सैनिकों के आश्रितों को मिलने वाले दो फीसद आरक्षण एक्ट-1993 लागू है। इस अधिनियम में अंग्रेजी में ग्रैंड सन व ग्रैंड डॉटर शब्द अंकित है। जिसका सरकार ने एक्ट के सेक्शन दो में प्रावधान किया है कि स्वतंत्रता सेनानी की पुत्री के बच्चों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का आश्रित नहीं माना जाएगा। जिस कारण उन्हें दो फीसद आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। सावित्री देवी बोरा व उनके पुत्र राकेश भूषण बोरा ने इसे लिंग आधारित पक्षपात व संविधान के अनुच्छेद-14-15 के खिलाफ बताया। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद एक्ट के सेक्शन दो को असंवैधानिक करार दिया है। साथ ही डीएम चम्पावत को निर्देश दिए हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की बेटी सावित्री देवी बोरा के पुत्र राकेश को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित का प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं।

Posted By: Inextlive