- हाई कोर्ट ने शासन को नए सिरे से ऑब्जरर्वेशन जारी करने व नया आदेश पारित करने के दिए आदेश

- कृषि भूमि को अकृषि में बदलने के लिए रिश्वत मांगने का मामला

NANITAL: रिश्वतखोरी के मामले में पीसीएस अफसर रवनीत चीमा के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं देने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सुबूत होने के बाद भी अभियोग न चलाने को शासन की गलती मानते हुए नए सिरे से ऑब्जरर्वेशन जारी करने व नया आदेश पारित करने के आदेश दिए हैं।

विजिलेंस ने पेशकार को किया था अरेस्ट

ख्0क्0 में नैनीताल जिले की कोश्या-कुटौली तहसील क्षेत्र के निवासी ललित मोहन सुयाल ने एक नाली कृषि भूमि को अकृषि में बदलने के लिए तत्कालीन एसडीएम रवनीत चीमा के पेशकार नरेंद्र दीक्षित को प्रत्योवदन दिया। इसके बाद सुयाल ने विजिलेंस को शिकायत कर एसडीएम व उनके पेशकार पर भूमि की श्रेणी बदलने के मामले में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। ख्भ् मई ख्0क्0 को विजिलेंस ने एसडीएम के पेशकार नरेंद्र दीक्षित को ख्ख् हजार रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान विजिलेंस ने इस मामले में एसडीएम के खिलाफ सुबूत होने का उल्लेख करते हुए शासन से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-क्9 के तहत अभियोग चलाने की अनुमति मांगी। विजिलेंस के आरोप पत्र में कहा गया था कि पेशकार ने ख्ख् हजार की रकम में से अपने हिस्से के दो हजार देने की डिमांड की थी, शेष ख्0 हजार एसडीएम के थे।

शासन ने नहीं दी थी अनुमति

क्फ् अगस्त ख्0क्ख् को शासन ने पत्र भेजकर चीमा के खिलाफ अभियोग की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसी बीच भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट नैनीताल से इस मामले में पेशकार को सजा हो गई। शासन के अनुमति निरस्त करने के आदेश को शिकायतकर्ता ललित मोहन सुयाल ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए शासन को नए सिरे से मामले में आदेश जारी करने को कहा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हरीश पांडे के अनुसार एसडीएम के खिलाफ अभियोग चलाने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।

Posted By: Inextlive