RANCHI:केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मोरहाबादी मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में रक्षा विश्वविद्यालय का ऑनलाइन शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि झारखंड शहीदों की भूमि है। यहां की मिट्टी में जन्मे अल्बर्ट एक्का जैसे शूरवीरों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए हैं। यहां देश का तीसरा रक्षा विवि बनने जा रहा है, यह गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि देश में नरेंद्र मोदी की सरकार है और झारखंड में भी बीजेपी की सरकार है, इसलिए झारखंड के विकास में कोई अड़चन नहीं आएगी। रक्षा मंत्री पहाड़ी मंदिर में ध्वजारोहण करने के बाद मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि झारखंड में भ्0 फीसदी खनिज है, लेकिन झारखंड का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। लेकिन अब केंद्र सरकार राज्य में रक्षा से संबंधित हर मदद को तैयार है।

ताकत से ज्यादा बुद्धि जरूरी : रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि ताकत से ज्यादा बुद्धि जरूरी है। साइबर हमलों से भी निपटने के लिए हमें तैयार रहना है। उन्होंने कहा कि आज स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस की क्क्9वीं जयंती है। इस अवसर पर रांची में विश्व का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मोरहाबादी में आयोजित मुख्य समारोह से पहले रक्षा मंत्री विशेष विमान से एयरपोर्ट पहुंचे और सीधे पहाड़ी मंदिर गए, वहां उन्होंने जमीन तल से दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई म्8म् फीट पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। क्7 सितंबर ख्0क्भ् को इसका शिलान्यास सीएम रघुवर दास ने किया था। नवंबर महीने से निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिस पर क्.ख्भ् करोड़ रुपए का खर्च आया है।

जुलाई से शुरू होगा रक्षा विवि का सत्र : सीएम

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि देश और झारखंड राज्य को समृद्ध व स्वावलंबी बनाने में हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने देश के तीसरे रक्षा शक्ति विश्व विद्यालय का शिलान्यास झारखंड में करने पर केंद्र सरकार को बधाई दी। कहा कि राज्य सरकार इसी साल के जुलाई महीने में रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय का सत्र प्रारंभ कर देगी, ताकि झारखंड के बेरोजगार युवकों को ट्रेनिंग देकर सेना में भेजा जा सके।

शहीद स्थल है पहाड़ी मंदिर : राज्यपाल

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पहाड़ी मंदिर का प्राचीन नाम फांसी टुंगरी था। रांची में आजादी का पहला झंडा यहीं पर कुसुम चंद्र दास ने फहराया था। तभी से इस ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत हुई। अब पहाड़ी मंदिर पर फ्म्भ् दिन हमारा ध्वज आन, बान, शान और अभिमान के साथ लहराएगा। यह हमारे लिए गौरव की बात है।

Posted By: Inextlive