...तो कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में नहीं होगी इंग्लिश की monopoly
कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग करने के लिए इंग्लिश की जानकारी बेहद अहम होती है क्योंकि लगभग सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज अंग्रेजी में ही होती हैं। कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में अंग्रेजी की इस मोनोपोली को समाप्त करने के लिए यूआईईटी के बीटेक फाइनल ईयर के स्टूडेंट अधोक्षज ने कमर कस ली है। इसके लिए उन्होंने हिन्दी में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और उसके कम्पाइलर की ईजाद कर ली है। इसका प्रोटोटाइप भी उन्होंने बाकायदा तैयार कर लिया है। बकौल अधोक्षज वो दिन दूर नहीं जब वो लोग भी प्रोग्रामिंग कर सकेंगे जिन्हें बिलकुल भी अंग्रेजी नहीं आती। यही नहीं, अधोक्षज एथिकल हैकिंग के अच्छे जानकार हैं। इसके चलते एसटीएफ व पुलिस ने भी इनकी सेवाएं ली हैं। प्रोग्र्रामिंग में मजा आता है
इंडियन फारेस्ट सर्विस में वर्क कर रहे एस पी मिश्रा के बेटे अधोक्षज मिश्र ने प्रोग्र्रामिंग की फील्ड में क्लास फिफ्थ से ही वर्क करना शुरू कर दिया था। अधोक्षज के मुताबिक जब पहली बार उन्होंने 5वीं क्लास में कम्प्यूटर देखा था, तभी से उनके मन में प्रोग्रामर बनने का सपना था। अधोक्षज मिश्र ने बताया कि हाईस्कूल व इंटर में उसके माक्र्स 82 परसेंट से ऊपर रहे हैैं। कम्प्यूटर पर प्रोग्र्रामिंग करना उसे बहुत पसंद था। जिसकी वजह से ही कम्प्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्र्री लेने के लिए यूआईईटी में एडमिशन लिया है। प्रोग्रामिंग के साथ ही हैकिंग भीअधोक्षज सिर्फ प्रोग्रामिंग में ही तेज नहीं हैं, बल्कि उन्हें एथिकल हैकिंग का भी अच्छा नॉलेज है। इसके चलते एसटीएफ से लेकर लोकल पुलिस भी उनकी कई बार हेल्प ले चुकी है। इसके अलावा वो एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन डेसकॉन के मेंबर भी हैं। इस ऑर्गनाइजेशन का काम सेमिनार ऑर्गनाइज करना और लोगों केा कम्प्यूटर और आईटी फील्ड के लेटेस्ट डेवलपमेंट के बारे में जानकारी देना है। टाइट सिक्योरिटी में सेंध आखिर एथिकल हैकर्स की जरूरत क्या होती है? इस क्वेशचन के जवाब में अधोक्षज ने बताया कि अगर एथिकल हैकर्स का काम किसी आईटी कम्पनी का सिक्योरिटी ऑडिट करना होता है। यानि, किसी ऑनलाइन सॉफटवेयर या वेबसाइट के लिए पॉसिबल थ्रेट्स के बारे में पता लगाना। वहीं पुलिस या जांच एजेंसीज को हैकर्स की जरूरत तब होती है जब वो किसी डिजिटल डेटा की रिकवरी करते हैं मगर वो डेटा पासवर्ड प्रोटेक्टेड या एनक्रिप्टिेड होता है। 2 साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट
अधोक्षज का कहना है कि अंग्रेजी के अलावा किसी दूसरी लैैंग्वेज को कम्प्यूटर में स्टोर करना काफी जटिल प्रॉसेस है। नॉन इंग्लिश प्रोग्र्रामर अभी तक पूरी तरह से डेवलप नहीं हुए हैैं. उसका कहना है कि हिन्दी कम्पाइलर पूरी तरह से दो साल में डेवलप हो जाएगा। अभी इस प्रोजेक्ट पर काम करते हुए करीब 100 दिन हुए हैैं। बेसिक प्रोटोटाइप फुली फंक्शनल है। प्रोग्र्रामिंग लैैंग्वेज इनीशियल स्टेज में है। फेसबुक पर साइंटिस्ट से मुलाकातनासा के साइंटिस्ट डॉ। अमित अनिल सोहरा से उसकी फ्रैैंडशिप फेसबुक पर हुई थी. एक हैकिंग ग्र्रुप के पीरियड में उनसे बातचीत शुरू हुई थी। अब एक साल हो चुका है, वह हिन्दी कम्पाइलर डेवलप करने में फुल सपोर्ट कर रहे हैैं। डॉ। सोहरा ने इटली की यूनीवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में पीएडी की डिग्र्री ली थी। उनसे स्टार्टिंग में हैकिंग पर ही बात होती थी। "हिन्दी कम्पाइलर पर सीएस फाइनल इयर का स्टूडेंट अधोक्षज मिश्रा काफी अच्छा वर्क कर रहा है। ये स्टूडेंट काफी लेबोरियस है। इसका फ्यूचर ब्राइट है." प्रो। अर्पिता यादव, डायरेक्टर यूआईईटी"उसके टैलेंट के बार में हमें करीब एक साल पहले जानकारी मिली। इस पर एक बार काफी डिटेल में चर्चा की तो उसकी नॉलेज जबरदस्त निकली." डॉ। राशी अग्र्रवाल, फैकल्टी आईटी