RANCHI : 21 मार्च यानी हिंदू नववर्ष। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी शनिवार से नव संवत्सर 2072 शुरु हो रहा रहा है। नव संवत्सर के आगमन को लेक भारतीय नववर्ष आयोजन समिति और विश्व हिंदू परिषद की महानगर समिति की ओर से सेलिब्रेशन की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ, ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक, नव संवत्सर 2072 में नक्षत्रों की ऐसी जुगात बैठ रही है कि यह साल कर्म के अनुसार लोगों को अच्छे और बुरे का फल देगा।

देश का होगा विकास

नववर्ष में कीलक नामक संवत्सर की शुरुआत अच्छे नक्षत्रों में हो रही है। पंडित शिव कुमार पांडेय के मुताबिक, कीलक संवत्सर का राजा शनि और मंत्री मंगल है। ऐसे में संसार से बुराइयों का अंत होगा और कर्क लग्न के उदय और उच्च गुरु बृहस्पति के कारण देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।

शासक- शासितों के बीच मतभेद

पंडित आरके तिवारी बताते हैं कि नव संवत्सर 2072 अच्छे कर्म करने वालों के लिए अच्छा और बुरे कर्म करने वालों के लिए बुरा साबित होगा। चूंकि शनि दंडनायक होने के साथ राक्षसों के सेनापति हैं और मंगल देवताओं के सेनापति। ऐसे में राजा और मंत्री के बीच आपसी वैमनस्यता से वैचारिक मतभेद की स्थिति पैदा होगी। इतना ही नहीं, ग्रहों की स्थिति का सीधा प्रभाव धरती पर भी पड़ता इसलिए लोग भी प्रभावित होंगे। शनि की प्रवृति न्यायप्रिय होती है, जबकि मंगल रक्त पिपासु ग्रह माना जाता है। शनि के प्रभाव से जहां न्याय की प्रधानता रहेगी वहीं मंगल के मंत्री होने के चलते खून -खराबे की आशंका रहेगी। राजनीतिक उथल पुथल भी पूरे साल बरकरार रहेगी।

कर्म आधारित होगा यह साल

नव संवत्सर 2072 में ग्रहों के फेरबदल को देखते हुए इसे कर्म आधारित साल के तौर पर ज्योतिषाचार्य देख रहे हैं। नववर्ष में शनि राजा और मंगल मंत्री पद की शपथ लेंगे। हैरानी वाली बात है कि इन दोनों ग्रहों में आपसी दुश्मनी है। दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ वैमनस्यता का भाव रखते हैं। राजा और मंत्री के बीच वैमनस्यता के भाव के कारण आम लोगों को भी तरह-तरह के फेरबदल व परेशानियों का सबब मिलेगा। जैसा कर्म करेंगे, वे वैसा ही फल पाएंगे।

महामारी की भी रहेगी आशंका

ज्योतिषाचार्यो का मानना है कि नववर्ष में मौसम पर भी ग्रहों की स्थिति का असर पड़ेगा। मौसम में काफी बदलाव देखे जा सकेंगे। इस साल सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ेगी। स्वाइन फ्लू, इबोला और बर्ड फ्लू जैसी बीमारियां तो फैली ही हैं, कई और बीमारियों के साथ महामारी का भी डर बना रहेगा।

8 दिन का होगा नवरात्र

नवरात्र की शुरुआत 21 मार्च से होगी, जबकि 28 मार्च को समापन होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त शनिवार की सुबह 8.47 से 10.43 बजे के बीच है। महाअष्टमी 27 मार्च को और नवमी 28 मार्च को होगी। आमतौर पर नवरात्र के दिनों का घट जाना शुभ नही माना जाता है, लेकिन इस बार चैत्र नवरात्र के आठ दिन में छह दिन शुभ संयोग वाले होंगे।

Posted By: Inextlive