हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सभागार में पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य के अन्त: संबंध पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

ALLAHABAD: उत्तम साहित्य ही उत्तम पत्रकारिता है। भारतेन्दु हरिशचंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी व माखनलाल चतुर्वेदी जैसे आदर्श हिन्दी साहित्यसेवी अनुकरणीय पत्रकारिता स्तम्भ हो चुके हैं। पहले पत्रकारिता और साहित्य दोनों अविभाज्य अटूट थे आज साहित्य से दूरी होने पर पत्रकारिता में वह समर्पण भाव नहीं है जो पहले था। एकेडेमी ने ऐसे विषय पर संगोष्ठी का आयोजन कराकर अच्छा प्रयास किया है। यह बातें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ। अर्जुन तिवारी ने शनिवार को हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सभागार में आयोजित पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य के अन्त:संबंध विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर कही।

दोनों एक सिक्के के हैं दो पहलू

दूसरे वक्ता प्रो। अरुण कुमार भगत ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पत्रकारिता लेखन से समाज व जीवन में चेतना का विस्तार होता है। प्रो। योगेन्द्र प्रताप सिंह ने गोष्ठी की महत्ता पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता करते हुए एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने कहा कि पत्रकारिता का जन्म साहित्य से ही हुआ है। इसलिए दोनों को अलग नहीं किया जा सकता है। संचालन कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह व स्वागत एकेडेमी के सचिव रवीन्द्र कुमार ने किया। इस मौके पर डॉ। शांति चौधरी, केएन पांडेय, डॉ। धनंजय चोपड़ा, उमेश श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive