हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने भोजपुरी साहित्य की उपलब्धियां व संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी

ALLAHABAD: आज वह दौर आ गया है कि अंग्रेजी के सामने हिन्दी बोलने से लोग लजा रहे हैं। जब समाज में यह स्थिति है तो भोजपुरी का क्या होगा। जबकि भोजपुरी का रचना क्षेत्र व्यापक स्तर पर फैला हुआ है। दिक्कत इस बात की है कि भोजपुरी भाषा के विकास को लेकर सरकारी स्तर पर योजनाओं को मूर्त रूप नहीं दे रहा है। यह बातें प्रख्यात साहित्यकार डॉ। राम सुधार सिंह ने शनिवार को हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से एकेडेमी सभागार में आयोजित भोजपुरी साहित्य की उपलब्धियां व संभावनाएं विषय पर हुई संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही।

डॉ। तैयब हुसैन ने कहा कि भोजपुरी का साहित्य प्रवृत्तियों को छोड़ता नहीं है। बल्कि उसको समाहित करता चलता है। यही भोजपुरी की सबसे बड़ी ताकत है। डॉ। प्रकाश उदय ने कहा कि कविता के साथ ही कहानी, उपन्यास व नाटक के क्षेत्र में भोजपुरी ने सशक्त पहचान कायम की है। इस दौरान डॉ। तैयब हुसैन द्वारा लिखित पुस्तक 'भोजपुरी नाट्य रंग और भिखारी ठाकुर' का लोकार्पण किया गया।

एकेडेमी के सचिव रवीन्द्र कुमार ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शॉल पहनाकर उनका स्वागत किया। संचालन एकेडेमी के सचिव रविनंदन सिंह का रहा। संगोष्ठी में डॉ। शारदा पांडेय, हरि मोहन मालवीय, शिवमूर्ति सिंह, केएन पांडेय, शिव गोविंद पांडेय आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive