- लगातार बारिश के चलते बसंतपुर सराय का दक्षिणी हिस्सा गिरा

- 2015 से सराय को संवारने के नाम पर नगर निगम की फॉर्मेलिटी पड़ी भारी

GORAKHPUR: जिसका अंदेशा था आखिर वही हुआ। पिछले दो साल से शहर में बसंतपुर सराय को बचाने की कवायद में हो रही फॉर्मेलिटी का अंजाम यह हुआ कि सोमवार को इसका एक हिस्सा टूटकर गिर पड़ा। उपेक्षा का दंश झेल रही यह 400 साल पुरानी इमारत इस साल बरसात की मार बर्दाश्त नहीं कर सकी और इसका दक्षिणी हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया। गनीमत रही कि इस दौरान वहां आसपास कोई मौजूद नहीं था, जिससे जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।

2014 में इनटेक ने दिया 'रेड सिग्नल'

सितंबर 2014 में नगर निगम ने बसंत सराय को डिमॉलिश कर मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बनाने का फैसला किया। इस दौरान मुकामी लोगों के विरोध के बाद इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) के जिम्मेदारों ने यहां का सर्वे किया और इस पूरी स्ट्रक्चर को खतरे में बताते हुए इसकी रिपेयरिंग की सलाह दी। 2014 में ही इनटेक की दिल्ली से टीम गोरखपुर पहुंची, जिसमें एक्सप‌र्ट्स के साथ आर्किटेक्ट मौजूद थे। इन्होंने यहां तीन दिन रुककर सराय के हर प्वाइंट का सर्वे किया और अपनी डीटेल रिपोर्ट तैयार कर नगर निगम की मेयर और नगर आयुक्त को मुहैया कराई।

नहीं जागे जिम्मेदार

जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह रहा कि इनटेक की रिपोर्ट को उन्होंने धूल फांकने के लिए छोड़ दिया। मुकामी पार्षद ने इस मामले में जब कोशिश की, तो जिम्मेदार सिर्फ सर्वे कर अपना कोरम पूरा कर वापस लौट आए। 2015 के बाद से नगर निगम के जिम्मेदारों ने यहां करीब 5 बार इंस्पेक्शन किया, मगर इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इनटेक के जिम्मेदारों ने साफ कर दिया था कि यह कभी भी गिर सकती है और इससे यहां रहने वाली दर्जनों फैमिली की जान तक जा सकती है, पर जिम्मेदार नहीं जागे।

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इसलिए है खास

इस सराय को उसे 14वीं सदी में इस वंश के शासक राजा बंसत सिंह के बेटे राजा मान सिंह ने 1458 से 1498 ई के बीच यह किला बनवाया। इसका नाम राजा बसंत सिंह के नाम पर बसंत किला रखा गया। इसके बाद मुगल पीरियड में इसका इस्तेमाल दूर-दराज से आने वाले व्यापारी करने लगे। वह यहीं आकर ठहरा करते थे, अपने साथ लाए सामानों की खरीद-व-फरोख्त करने के बाद वह वापस लौटा करते थे। यहां 11 बाई 11 की 67 सराय बनी हुई है। बाद में अंग्रेजों के पीरियड में यह रैन बसेरे के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा।

मैंने नगर निगम के जिम्मेदारों से इसको ठीक कराने के लिए कई बार गुहार लगाई। जिम्मेदारों को मैं खुद लेकर स्पॉट पर गया और वहां का सर्वे कराया। मगर 4-5 सर्वे के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई एक्शन नहीं लिया।

- विजेंद्र अग्रहरी, पार्षद, बसंतपुर

इनटेक की टीम के मेंबर्स सर्वे के लिए दिल्ली से आए थे। उन्होंने तीन दिन रुककर सराय का सर्वे किया और यहां से जुड़ी डीटेल्ड रिपोर्ट भी दे दी। इसके तहत नगर निगम को यहां से कब्जा हटवाना था, जिसके बाद इनटेक की टीम सराय को पूरी तरह से मेनटेन करेगी। मगर अब तक निगम कब्जा ही नहीं हटवा सका है।

- पीके लाहिड़ी, इनटेक, गोरखपुर चैप्टर

मैं यहां रहता था, लेकिन काम से दूसरी जगह गया हुआ था। जब वापस आया तो पूरी दीवार गिरी हुई थी। कुछ सामान का नुकसान हुआ है। साफ-साफ बच गया।

- भिखारीलाल वर्मा, मुकामी नागरिक

Posted By: Inextlive