कई शताब्दियों पहले बोर्नियो के मूल निवासियों के एक समूह ने डच हमलावरों से बचने के लिए अपने गांव छोड़े और घने जंगलों में बस गए।

इंडोनेशिया के बोर्नियो द्वीप पर डच उपनिवेशवादियों के तेज़ी से बढ़ रहे कब्ज़े के चलते वे अपने लिए आशियाना तलाश रहे थे।

आख़िरकार, उन्हें बोर्नियो के बीचों-बीच पहाड़ों के पास जंगलों में एक अच्छा ठिकाना मिल गया। उन्होंने वहां घर बना लिए और खेती करने लगे।

वे बुराक नदी से मछलियां पकड़ते थे। सब कुछ ठीक था, लेकिन फिर यकायक बच्चे ग़ायब होने लगे।

यह सिलसिला लगातार आठ दिनों तक चला। तो क्या ये जंगल के भूत का काम था, या फिर किसी खानाबदोश या तेंदुए जैसे किसी बड़े मांसभक्षी का काम था?

इसका पता लगाने के लिए गांव वालों ने एक जाल बिछाया और चारा बनाया एक और बच्चे को।

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अनूठा करार

आज भी इन लोगों का मानना है कि इनके पूर्वजों ने इस छोटे सांप के साथ एक करार किया जो आज भी बाध्यकारी है- 'न तो मनुष्य और न ही अजगर एक-दूसरे को नुक़सान पहुंचाएंगे।'

इसके बाद ये लोग जंगल से कुछ दूर के गांव में आ गए, लेकिन उनका कहना है कि अजगर अब भी वहीं-कहीं हैं।

मैंने सबसे पहले ये कहानी जुलाई 2014 में तब सुनी थी जब मैं रात में अलाव के किनारे बैठा हुआ पाक रुस्नी की बातें सुन रहा था।

रुस्नी तुम्बांग तुजांग के दयाक गांव के बुज़ुर्ग थे और उनकी उम्र लगभग 54 साल थी। ज़्यादातर उन्होंने आराम से बात की थी, लेकिन जैसे ही वे कहानी के आखिर में पहुंचे, उनकी आवाज़ बहुत तेज़ और जोशीली हो गई।

वो मुझे अजगर की गुफा की आकृति, सुरंग और नदी के किनारे की बस्तियों के पास खींचकर ले गए।

 

 

खतरनाक सांपों का ये हॉट फोटोशूट देख उन से डरना छोड़ देंगे आप!

 

कई तरह के सांपों पर शक

बोर्नियो में सांपों के विशेषज्ञ रॉबर्ट स्ट्युबिंग कहते हैं, "अधिकांश सांपों में ज़हर होता है। यहां तक कि उनमें भी जिन्हें हानिकारक नहीं माना जाता है।"

सांप के ज़हर में शिकार में भ्रम पैदा करने के लिए एक प्रोटीन होता है जो शिकार को उसके पास लाने का काम करता है। जैसे कि किंग कोबरा का ज़हर 100 से अधिक प्रकार का होता है।

तो छोटे बच्चों को मारने में कौन से सांप सक्षम थे। ये सांप सबसे ज़्यादा संदेह के घेरे में हैं।

लाल सिर वाला करैत: दिखने में सुंदर, लेकिन घातक। इसका शरीर चमकदार और काला होता है। सिर और पूंछ चटक लाल। करैत का ज़हर शिकार के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। शिकार के लिए सांस लेना या हिलना-डुलना भी नामुमकिन हो जाता है।

 

पड़ताल कहां तक

लेकिन समस्या यह है कि जो अजगर हर रोज एक बच्चा खाते थे वह पायथन तो नहीं हो सकते। क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार पायथन औसतन एक महीने या चार हफ्तों में भोजन करता है। पायथन रोज़ नहीं खाता।

यह भी संभव है कि कहानी में बताए गए अजगर कई सांपों की विशेषताओं पर आधारित हों। तेलुक नाग में भी एक अजगर देखा गया है। नाग दायक भाषा में अजगर के लिए इस्तेमाल होता है और यह संस्कृत में सांप का नाम है।

रुस्नी और अन्य ग्रामीण कहते हैं कि वे अब भी पानी के आसपास अजगरों को देखते हैं।

रुस्नी कहते हैं, "अजगर काले और चमकीले होते हैं और तेल के ड्रम जितने बड़े होते हैं, लेकिन वे एक जगह पर लंबे समय नहीं रहते। वे अपनी इच्छा से दिखते और ग़ायब होते रहते हैं।"

फिलहाल तो इस आदमखोर सांप की गुत्थी अनसुलझी ही है।

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Posted By: Chandramohan Mishra