भारतीय कैलेंडर के अनुसार 8 अप्रैल यानी शुक्रवार से नए वर्ष का आगमन हो गया है। इसी दिन चैत्र नवरात्र भी शुरु हो रहा है। इस मौके पर पूरे देश भर में सभी लोग इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। कई जगह पर सुबह-सुबह ही भजन-कीर्तन और प्रभात फेरी निकाल कर सभी लोगों को हिंदू नव वर्ष की शुभाकामनाएं दी जाती है। वैसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी से नया साल शुरु होता है लेकिन भारतीय कैलेंडर जिसे हम विक्रम संवत भी कहते हैं वह अंग्रेजी कैलेंडर या चीनी कैलेंडर सभी से अलग है। तो आइए आज जान लेते हैं कैसे-कैसे होते हैं कैलेंडर और किसका क्‍या है महत्‍व....


शक संवत :-शक संवत की शुरुआत विक्रम संवत के बाद हुई है। ऐसा माना जाता है कि इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ईस्वी में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में घोषित कर दिया। राष्ट्रीय संवत का नववर्ष 22 मार्च से शुरू होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है। यह संवत सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से शुरू होता है। ईसाई नववर्ष :-
पूरी दुनिया में ईसाई नववर्ष को मान्यता मिली है। एक जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई, जबकि पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष एक मार्च से शुरू होता है। दुनिया भर में आज जो कैलेंडर प्रचलित है उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था। जैन संवत :-


जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन प्रारंभ होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। लगभग 527 ईसा पूर्व महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था। पारसी नववर्ष :-पारसी धर्म में नववर्ष यानी नवरोज मनाने की शुरुआत करीब 3000 साल पहले हुई थी। आमतौर पर 19 अगस्त को पारसी धर्मावलंबी नवरोज का उत्सव मनाते हैं। नवरोज का अर्थ ही दरअसल नया दिन होता है। इस दिन पारसी मंदिर अज्ञारी में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari