GORAKHPUR : एक गलती जिसे सुधार लिया जाए तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है. यह कहावत अक्सर सीनियर सिटीजन कहते नजर आते है. इसे सही साबित कर दिखाया है एचआईवी पॉजिटिव कुछ मरीजों ने. उनकी हेल्प कर रहा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहा एआरटी सेंटर. एक गलती ने हसबैंड वाइफ को एचआईवी पॉजिटिव तो बना दिया. मगर उनके अवेयरनेस के चलता उनका बेबी इस जानलेवा बीमारी से सेफ है. मेडिकल कॉलेज में हर साल ऐसे दर्जनों बेबी जन्म ले रहे हैं जिन पर एचआईवी का साया पूरी तरह से था मगर पैरेंट्स की हिम्मत और डॉक्टर की हेल्प ने उन्हें बचा लिया.


पैरेंट्स एचआईवी पॉजिटिव, मगर बेबी नॉर्मलअवेयरनेस एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की प्रॉब्लम को तो खत्म नहीं कर पा रहा है, मगर न्यू बॉर्न बेबी के लिए सेफ है। काउंसलिंग को आने वाले मैरिड कपल जो एचआईवी पॉजिटिव है, मगर अपना बेबी चाहते है। काउंसलर उन कपल्स को पहले गाइनकोलॉजिस्ट से मिलवाने के साथ टेस्ट कराते है। फिर डॉक्टर की एडवाइस के मुताबिक पूरा इलाज चलता है। नतीजा एचआईवी पॉजिटिव लेडीज नॉर्मल बेबी को जन्म देती है। इस साल अप्रैल से सितंबर मंथ के बीच ऐसी ही 18 एचआईवी पॉजिटिव लेडीज का इलाज चल रहा है। जिसमें 13 लेडीज नॉर्मल बेबी को जन्म दे चुकी हैं। जबकि अन्य 5 लेडीज का पीरियड अभी कंपलीट नहीं हुआ है। लेडीज करा रही हसबैंड की काउंसलिंग


सिटी में एचआईवी के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके पीछे एचआईवी का प्रकोप नहीं बल्कि लोगों के बीच बढ़ रहा अवेयरनेस है। ब्वायज से अधिक गल्र्स अवेयर हैं। सिटी से बाहर रहने वाले यूथ जब वापस घर लौटते है तो वे पहले उन्हें काउंसलिंग सेंटर ले जाती है। साथ ही महिलाएं खुद भी समय-समय पर इस सेंटर की हेल्प लेती रहती है। मेडिकल कॉलेज स्थित एआरटी सेंटर में पर मंथ 10 से अधिक मामले नए आ रहे हैैं। जिसमें 5 मैरिड मेल होते है तो 3 मैरिड वूमेंस। नार्मल बेबी के लिए पहले काउंसलिंग, फिर इलाज जरूरी मुंबई में जॉब करने वाला एक कपल इन दिनों अपने घर आया है। इसी बीच अचानक लेडीज की तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद कुछ टेस्ट लिखा। तब तक सब कुछ नॉर्मल था। मगर अचानक जैसे ही टेस्ट रिपोर्ट आई कपल के साथ फैमिली मेंबर्स के भी होश उड़ गए। रिपोर्ट में एचआईवी पॉजिटिव था। मगर हसबैंड-वाइफ ने हिम्मत नहीं हारी और एआरटी सटेंर पहुंची। जहां काउंसलिंग के बाद दोनों ने अपने बेबी की ख्वाहिश की। काउंसलर ने उनकी इच्छा जरूर पूरी होगी, जैसे यह बात कहीं दोनों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। काउंसलर के कहने पर कपल्स ने मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज शुरू कराया। सब कुछ नार्मल है। एचआईवी पॉजिटिव लेडीज ने एक नॉर्मल बेबी को जन्म दिया। मतलब इस कपल्स की हिम्मत ने जहां बीमारी को रोक दिया, वहीं अपने बेबी को पूरी तरह सेफ रखा।

एड्स के मरीजों की संख्या बढ़ी है, मगर बीमारी नहीं बल्कि अवेयरनेस के कारण। लोगों की जागरूकता के चलते अब उनके बेबी एचआईवी पॉजिटिव नहीं हो रहे है। इलाज के जरिए उन्हें नॉर्मल कर दिया जा रहा है। हालांकि अभी भी एचआईवी पॉजिटिव होने के पीछे बड़ा कारण एड्स होने का रीजन पता न होना है। सिद्धार्थ, काउंसलरकैसे होता है एचआईवी पॉजिटिव1-इंटरकोर्स-नेचुरल-डबल डेकर (इसमें गे और लेस्बियन होते है)2-आईडीयू (इसमें ड्रग लेने वाले आते है, जो एक ही सीरिंज का इस्तेमाल करते है)3-ब्लड बैंक-(विंडो पीरियड में एचआईवी की पुष्टि नहीं होती है। ऐसे में अगर किसी को एचआईवी पॉजिटिव का ब्लड चढ़ा दिया जाए तो वे भी पॉजिटिव हो सकते है)4-मां-पिता के एचआईवी पॉजिटिव होने पर 45 परसेंट बच्चा भी एचआईवी पॉजिटिव होने के चांस रहते है।

Posted By: Inextlive