शहर के हॉकी खिलाडि़यों को नेशनल स्तर के कोच से दिलाई जाए ट्रेनिंग

पैरेंट्स भी राष्ट्रीय खेल हॉकी के प्रति बच्चों को करें जागरूक

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PRAYAGRAJ: प्रयागराज में हॉकी जैसे खेल को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए जरूरी है कि यहां खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने के लिए कम से कम एक नेशनल स्तर के कोच की नियुक्ति हो जो खुद नेशनल लेवल का खिलाड़ी रहा हो। इससे खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के दौरान ही नेशनल व इंटरनेशनल स्तर पर हो रहे बदलाव और टेक्निक के बारे में जानकारी हो सके। कई बार जिला या स्टेट स्तर पर शानदार खेलने वाले शहर के खिलाड़ी नेशनल स्तर पर उम्मीद से कम प्रदर्शन करते हैं। ये बातें केपी इंटर कालेज के खेल शिक्षक उमेश खरे ने कही।

कभी शहर में था ट्रेनिंग हॉस्टल

उमेश खरे बताते हैं कि प्रयागराज में कभी स्पो‌र्ट्स के लिए हॉस्टल हुआ करता था। इसका नाम साई सेंटर था। इसमें खिलाडि़यों के लिए हॉस्टल की सुविधा भी थी। ये ट्रेनिंग सेंटर सन 2000-08 तक संचालित होता रहा। बाद में बंद हो गया। उस समय नेशनल स्तर के कई खिलाड़ी इस सेंटर से निकले। जो प्रशिक्षक सेंटर पर नियुक्त थे, उन्हें वाराणसी भेज दिया गया। हॉकी से जुड़े लोगों ने अपनी ओर से अथक प्रयास किया, लेकिन वह सेंटर बंद होने से नहीं बच पाया।

इंटरवल में खेलने का मौका

शहर में सिर्फ तीन ग्राउंड हैं। यहां स्कूल के खिलाडि़यों को ज्यादातर इंटरवल में खेलने का मौका दिया जाता है। क्योकि स्कूल के खेल शिक्षक उसके बाद थ्योरी क्लासेस में लग जाते हैं। जबकि हॉकी जैसे खेल को प्रमोट करने के लिए जरूरी है कि स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों को कम से कम सुबह और शाम दोनों समय दो-दो घंटे खिलाडि़यों को तैयार करने और प्रशिक्षण देने के लिए मिले। सिर्फ इंटरवल के सहारे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी नहीं तैयार किए जा सकते।

कुछ ही जगह हैं सुविधाएं

अगर देश में हॉकी के इतिहास की बात करें तो पहले ओपेन मैदान में हॉकी हुआ करती थी, उस समय देश विश्व विजेता था। लेकिन 70 के दशक में सिन्थेटिक ग्रीन ग्रास मैदान या एस्ट्रो टर्प फील्ड तैयार होने लगे। विदेशों में तो ये खिलाडि़यों को हर जगह आसानी से उपलब्ध हो गया। लेकिन अपने देश में कुछ ही स्थान पर ये सुविधा है। इसका सीधा असर देश की हॉकी पर पड़ा है। यदि ये सुविधाएं छोटे शहरों में भी खिलाडि़यों के लिए उपलब्ध हो जाएं, तो हॉकी व‌र्ल्ड कप में फिर देश का परचम लहरायेगा।

प्रयागराज में हॉकी के लिए जरूरी है कि जिन खिलाडि़यों ने हॉकी से सबकुछ पाया है, वे इसे बढ़ाने के लिए आगे आएं और नए खिलाडि़यों को सुविधा दिलाने में मदद करें।

उमेश खरे

खेल शिक्षक, केपी इंटर कालेज

Posted By: Inextlive