होली के पर्व की शुरुआत होलिका दहन के साथ होती है। 28 मार्च को होलिका दहन मनाई जा रही है। इस दिन जगह-जगह और चौराहों पर होलिका जलाई जाती है। होली जलने के बाद बची हुई राख को घर लाना शुभ माना जाता है। जानिए इससे क्या-क्या मिलता है लाभ।

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। होली के पहले दिन को 'होलिका दहन' या छोटी होली के रूप में जाना जाता है और दूसरी रंगवाली होली, धुलेटी, धुलंडी या धूलिवंदन है, जहाँ लोग रंगों से खेलते हैं। होलिका दहन के दिन, लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को एक अलाव के आसपास इकट्ठा करते हैं और विभिन्न गीतों और तुकबंदी गाकर होलिका दहन मनाते हैं।
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राख को शरीर पर चाहिए लेपना
पूजन के बाद जल से अर्ध्य दे तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिका में अग्नि प्रज्ज्वलित करें।होली की अग्नि में सेंक कर लाये गए धान्यों को खाएं,इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है।ऐसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि तथा राख को अगले दिन प्रातः काल घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा इस राख को शरीर पर लेपन करना भी कल्याणकारी रहता है।
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होली की राख से लाभ
किसी ग्रह की पीड़ा होने पर होलिका दहन के समय देशी घी में भिगोकर दो लोंग के जोड़े,एक बताशा और एक पान के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए।अगले दिन होली की राख लाकर अपने शरीर पर तेल की तरह लगाकर एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।
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होली पर बरतने वाली विशेष सावधानियां
1. होली के दिन प्रातः काल हींग के पानी से मुख शोधन करना चाहिए।
2. प्रातः काल हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
3. प्रातः काल अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए।
4. होली जलाते समय अपने ऊपर से लौंग वारकर होली की अग्नि में डालें।
5. इस दिन हनुमानजी को चोला एवं भैरव जी पर तेल अवश्य चढ़ायें।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari