-धीरे-धीरे ही सही लेकिन, घट रहा है चाइना का मार्केट

-इस साल कम पसंद की जा रही हैं चाइना की पिचकारियां

-इंडियन पिचकारियों का बढ़ रहा है धीरे-धीरे बाजार

ष्ठश्व॥क्त्रन्ष्ठहृ: जो बात देशी आयटम में है, वह बाहर से आई चीजों में नहीं है। कम से कम चाइना से आ रहे सामान का तो कोई भरोसा ही नहीं है। इसीलिए मैं बच्चों को देशी पिचकारियां ही दिलवा रहा हूं। जैसे मैं देशी पिचकारी में विश्वास रखता हूं, ऐसे बहुत से लोग हैं जो चाइना के माल को हाथ भी नहीं लगा रहे हैं। यह कहना है अपने नातियों को पिचकारी दिलाने बाजार आए वीर सिंह का। सोमवार को जब आई नेक्स्ट ने होली के बाजार का हाल जाना तो इस बार चाइना पर इंडियन आयटम्स भारी पड़ते दिखे। बाजार की चाल देखकर लगा कि इस बार होली पर मेक इन इंडिया का रंग चढ़ा हुआ है।

नौ से लेकर सौ तक

इंडियन पिचकारी सेल करने वाली कारोबारी कंवलजीत ने बताया कि इस बार हिन्दुस्तान के अंदर बनी पिचकारियों को काफी पसंद किया जा रहा है। देशी पिचकारियों के दाम भी इस बार काफी कम रखे गए हैं। सबसे सस्ती पिचकारी नौ रुपये में उपलब्ध है। वहीं बात अगर मध्यम दर्जे की महंगी पिचकारी की करें तो यह सौ से लेकर सवा सौ रुपये तक के दाम में पसंद की जा रही है।

पचास परसेंट रह गया बाजार

पिचकारियों की विभिन्न वेराइटी सेल करने वाले नवीन जैन का कहना है कि इस बार चाइना की पिचकारियों का बाजार बीते सालों की तुलना में तकरीबन पचास परसेंट ही रह गया है। अब लोग देशी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कंवलजीत बताती हैं कि चाइना की पिकचारियां काफी महंगी हैं। बड़े साइज की पिचकारियों का दाम दो सौ से लेकर तीन-चार सौ रुपये तक है। जबकि देशी इस बार सस्ते दाम पर मार्केट में उपलब्ध हैं।

बच्चों को तो हमें बताना है

होली के पावन पर्व के अवसर पर बाल हठ को पूरा करने के लिए पहुंचे बाबा वीर सिंह का कहना है कि बच्चों को तो हमें ही सिखाना है। उनके हाथ में जो खरीद कर दे दिया जाएगा, वो तो उसी से बहल जाएंगे। इसीलिए आने वाली पीढ़ी को हमें देशी और भारत से बाहर बन रहे सामान के बीच फर्क बताना चाहिए। आज ये बात बताने की जरूरत है कि टिकाऊ सामान हमारे हिन्दुस्तान का ही है। चाइना के सामान आकर्षित जरूर करते हैं लेकिन, ये टिकाऊ नहीं हैं। इसलिए इन्हें खरीद कर अपने पैसे बर्बाद करना ही है।

वर्जन

बाजार में सामान तो चाइना का भी है। लेकिन, इस बार चाइना की पिचकारी कम पसंद की जा रही हैं।

नवीन जैन

जो लोग टिकाऊपन देखते हैं वे तो देशी पिचकारी ही लेना पसंद कर रहे हैं। चाइना का सामान टिकाऊ नहीं होता।

सौरभ

चाइना के सामान की सेल तो आधी के बराबर ही रह गयी है। दिखने में आकर्षक जरूर है लेकिन, टिकाऊ नहीं हैं। देशी अगले साल भी काम आ जाती हैं।

कंवलजीत

मेड इन इंडिया के सामान में जो दम है, वह चाइना के माल में कभी हो ही नहीं सकता है। इसीलिए देशी पिचकारी ही अच्छी हैं।

वीर सिंह

Posted By: Inextlive