कान्हा की क्रीड़ास्थली गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन

अबीर, गुलाल और रंग से माहौल सतरंगी, छा गई मस्ती

मथुरा। योगीराज श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली गोकुल की गलियों में शनिवार को सारे जहां की मस्ती छाई। अबीर, गुलाल और टेसू के रंग से गोकुल का आसमान सतरंगी हो गया। यमुना किनारे से उठ रही हवाओं के साथ भक्ति के रंग श्रद्धा में सराबोर थे। मंदिर से ठाकुरजी का डोला चला तो छड़ीमार होली में रसिया गूंज उठे। मुरलीधर घाट पर हुरियारिनों ने ऐसी छड़ीमार होली खेली कि सभी मस्ती में डूब गए।

सतरंगी हुई गोकुल की गलियां

दिन निकलने से पहले ही देश-दुनिया के श्रद्धालु गोकुल पहुंचने लगे। गोकुल की गलियां अबीर-गुलाल और रंगों से सतरंगी हो गईं। दोपहर 12 बजे के करीब नंदभवन नंदकिला से ठाकुरजी का डोला बैंडबाजों के साथ मुरलीधर घाट की ओर बैंडबाजों के साथ चला। मंदिर के सेवायत मथुरादास पुजारी, राममूर्ति, मनमोहन ने पूजा-अर्चना की। डोला के पीछे सोलह श्रृंगार किए हुरियारिनें चल रहीं थीं। डोला के साथ चल रहे भक्त रसियाओं पर झूमते गाते चल रहे थे। आस्था का अबीर-गुलाल भक्ति के रंग में श्रद्धालुओं को रंग रहा था। डोला दोपहर करीब डेढ़ बजे मुरलीधर घाट पहुंचा और भक्त ठाकुरजी के दर्शन को उमड़ पड़े। छड़ी होली का शुभारंभ होते ही सोलह श्रंगार किए हुरियारिन छडि़यों से हुरियारों को पीट रही थीं। हुरियारे भी कान्हा के प्रेम से पगी छडि़यों को लठों से रोक रहे थे। हुरियारिनों ने ऐसा धमाल किया कि गोकुल की होली मदमस्त हो गई। यहां से ठाकुरजी का डोला मंदिर ले जाया गया। सुबह से शाम तक गोकुल की गलियां होली के रंगों से जगमग होती रहीं। होली के लिए गोकुल को सजाया-संवारा गया था।

Posted By: Inextlive