RANCHI:ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने के लिए दवाएं रेगुलर खाने की सलाह दी जाती है। वहीं एक भी दिन की दवा छूट जाए तो पूरा कोर्स ही बेकार हो जाता है, चाहे उसमें कुछ दिन ही गिनती के क्यों न बची हो। ऐसे में मरीजों की दवा न छूटे और घर में ही दवाएं उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है। इसके तहत अब सहिया दीदी को मरीजों के घर दवाएं पहुंचाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। वहीं सैंपल कलेक्ट करने का काम भी उन्हें ही सौंपा गया है, जिससे कि टीबी को खत्म करने का अभियान लॉकडाउन में जारी रह सके। बताते चलें कि 2025 तक टीबी को भारत से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस साल 2600 नए मरीज

टीबी के मरीजों के आने का सिलसिला हॉस्पिटल में जारी है। प्राइवेट के अलावा गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में भी इलाज के लिए मरीज पहुंच रहे हैं। जनवरी से अबतक 2600 टीबी के नए मामले सामने आए हैं, जबकि 3400 के करीब पुराने मरीजों की दवाएं चल रही हैं। अब इन मरीजों को लॉकडाउन में दवा मिलने में परेशानी हो रही है। वहीं दवा के कोर्स के दौरान गैप होने का डर सता रहा है। इसकी सूचना मिलने के बाद ही सीएस ने तत्काल आदेश जारी किया, ताकि किसी की दवा न छूटे और उसका कोर्स दोबारा से शुरू न कराना पड़े।

अलग-अलग कोर्स

टीबी की दवा का कोर्स स्टेज के हिसाब से तय किया जाता है। स्टेज के हिसाब से दवा छह महीने से लेकर 27 महीने तक चलती है। इसमें मेडिकल ड्रग रेजिस्टेंट टीबी भी शामिल है, जिसमें मरीजों को दवा का स्पेशल डोज दिया जाता है। चूंकि दवा का कोर्स चलने के दौरान अगर कोई मरीज दवा बीच में छोड़ देता है तो उसपर जेनरल टीबी की दवा काम नहीं करती। ऐसी स्थिति में उसका ट्रीटमेंट पैटर्न बदल जाता है। इसलिए मरीजों की दवा न छूटे इसका ख्याल रखा जा रहा है।

सैंपल टेस्ट का बढ़ा लोड

सर्दी-खांसी की स्थिति में लोग डरे हुए हैं। ऐसे में वे लोग तो कोविड टेस्ट कराने पहुंच रहे हैं, लेकिन जिन्हें लंबे समय से खांसी है उनका स्प्यूटम टेस्ट किया जा रहा है, जिससे कि टीबी के सैंपल भी काफी आ रहे हैं। अब सीबी नैट टेस्ट कर पता लगाया जा रहा है कि उनमें टीबी के कोई लक्षण हैं या नहीं। स्टाफ्स के कोविड ड्यूटी में लगा दिए जाने के कारण भी मरीजों को थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। लेकिन सहिया और पारा मेडिकल स्टाफ को इसमें शामिल करने के बाद राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

हमारे पास जो स्टाफ थे उन्हें कोविड ड्यूटी में लगाया गया है। हालांकि सैंपल और दवाएं दोनों ही जरूरी हैं। हमलोगों ने सीएस को लेटर लिखकर जानकारी दी थी। इसके बाद तत्काल हमे सहिया और पारा मेडिकल से काम लेने को कहा गया है। वहीं ब्लॉक के स्टाफ को भी मुख्यालय में काम करने का आदेश दिया गया है, जिससे सभी टीबी मरीजों को दवाएं टाइम पर मिल सके।

-राकेश कुमार, डीपीसी, टीबी कंट्रोल

Posted By: Inextlive